भारत-ब्रिटेन के बीच FTA को लेकर बातचीत खटाई में, कई मुद्दों पर नहीं बनी सहमति- रिपोर्ट
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर चल रही बातचीत बिना किसी समझौते के खत्म हो सकती है। वस्तुओं, सेवाओं और निवेश क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन सकी, जिसके बाद ब्रिटेन के अधिकारी दिल्ली से लौट गए हैं। पहले कहा जा रहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले समझौता हो सकता है, लेकिन अब इसके आसार कम नजर आ रहे हैं।
चुनाव बाद फिर शुरू हो सकती है वार्ता
NDTV के मुताबिक, भारत-ब्रिटेन के बीच FTA को लेकर 14वें दौर की बातचीत बिना किसी ठोस फैसले पर पहुंचे खत्म हो गई है। घटनाक्रम से परिचित 2 लोगों ने बताया कि अप्रैल में संभावित चुनावों से पहले भारतीय वार्ताकारों के पास लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। उम्मीद है कि लोकसभा चुनावों के बाद दोनों पक्ष फिर से इस संबंध में बातचीत शुरू कर सकते हैं।
चुनावों के लिहाज से ब्रिटेन के लिए अहम है समझौता
इस साल ब्रिटेन में भी चुनाव होना है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और उनकी पार्टी कई मुद्दों पर गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में भारत के साथ FTA ब्रिटेन के लिए काफी अहम है। ब्रिटेन ने अब तक न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ FTA पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इनसे किसान नाराज बताए जाते हैं। FTA पर ब्रिटेन की कनाडा के साथ चल रही बातचीत भी रुक गई है।
ब्रिटेन की व्यापार मंत्री के बयान ने बढ़ाई थीं अटकलें
इससे पहले ब्रिटेन की व्यापार मंत्री केमी बडेनोच ने कहा था कि भारत के साथ व्यापार समझौते पर आम चुनाव से पहले पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा था, "हम वास्तव में भारतीय चुनाव से पहले एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं कि ऐसा ही हो, क्योंकि मैं किसी भी चुनाव का समय सीमा के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहती। हम सार्थक बातचीत चाहते हैं।"
क्या है भारत-ब्रिटेन FTA समझौता?
2022 में भारत और ब्रिटेन ने FTA पर बातचीत शुरू की थी। दोनों देश एक अंतरिम मुक्त व्यापार क्षेत्र पर विचार कर रहे हैं, जिस पर सहमति बनने के बाद अधिकांश वस्तुओं पर टैरिफ कम हो जाएगा। इस संबंध में 13वें दौर की बातचीत पिछले साल दिसंबर में पूरी हुई थी। उम्मीद थी कि 14वें दौर की बातचीत में किसी समझौते पर पहुंचा जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
न्यूजबाइट्स प्लस
FTA 2 या 2 से ज्यादा देशों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए किया जाता है। इसके तहत आयात और निर्यात शुल्क को कम कर या खत्म कर देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है। इसके अंतर्गत सरकारी शुल्क, कोटा और सब्सिडी जैसे प्रावधान किये जाते हैं। भारत के कई देशों के साथ इस तरह के समझौते हैं।