रूस और ईरान ने की थी 2020 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल की कोशिश- खुफिया रिपोर्ट
मंगलवार को जारी की गई एक खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और ईरान ने पिछले साल हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में दखल देने की कोशिश की थी। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने 2020 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम बदलने का प्रयास नहीं किया था और इसके कोई संकेत नहीं है कि विदेशी लोगों ने मतदान को प्रभावित किया था। यह रिपोर्ट ऐसे समय जारी हुई है जब बाइडन प्रशासन रूस और ईरान पर दबाव बढ़ा रहा है।
चुनावों से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाया गया निशाना- रिपोर्ट
होमलैंड सिक्योरिटी एंड जस्टिस विभाग की तरफ से जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और ईरान ने राष्ट्रपति चुनावों से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया था, लेकिन नतीजों को प्रभावित नहीं किया। इन देशों ने बड़े अभियानों के जरिये अहम इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया और चुनावों से जुड़े नेटवर्क्स की सुरक्षा को प्रभावित किया था, लेकिन ये मतदान से जुड़े आंकड़े, मतदान और समय पर नतीजों के ऐलान पर वास्तविक असर नहीं डाल पाए।
रूस और ईरान ने किया था आरोपों का खंडन
रिपोर्ट के अनुसार, रूस, चीन और ईरान की सरकारों से जुड़े लोगों ने अमेरिका के राजनीतिक संगठनों, उम्मीदवारों और अभियानों की सुरक्षा से जुड़े नेटवर्क्स को थोड़ा-बहुत प्रभावित किया था। इन लोगों ने कुछ जानकारियां हासिल की और इन्हें मतदाताओं को प्रभावित करने वाले अभियानों में इस्तेमाल की। हालांकि, रूस और ईरान, दोनों ने ही इस बात से इनकार किया था कि उन्होंने अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने की कोई कोशिश की थी।
रूस की तरफ से इस तरह की कोशिशों के आरोप
रिपोर्ट में कहा गया है कि जो बाइडन की उम्मीदवारी, डेमोक्रेटिक पार्टी को बदनाम करने और ट्रंप का समर्थन करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अधिकृत अभियान चलाया गया था। इस प्रभाव अभियान में चुनाव प्रणाली में लोगों का भरोसा कम करने की कोशिश की गई और अमेरिका में सामाजिक-आर्थिक विभाजन को बढ़ाकर दिखाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, रूस के कई सरकारी संगठनों ने अमेरिकी मीडिया के कुछ हिस्सों में गलत दावों को हवा दी।
ईरान पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
रिपोर्ट में ईरान पर भी इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं। ईरान के बारे में कहा गया है कि उसने बाइडन के समर्थन में हवा बनाए बिना ट्रंप के दोबारा जीतने के नजरिये को कमजोर करने का प्रयास किया। इसके अलावा उसने चुनाव प्रणाली और अमेरिकी संस्थाओं से लोगों का भरोसा कमजोर करने और देश में विभाजन और सामाजिक तनाव बढ़ाने का काम किया। वहीं चीन की तरफ से नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की गई।
चीन की तरफ से क्या प्रयास किए गए?
हालांकि, नेशनल इंटेलिजेंस ऑफिसर फॉर साइबर से जुड़े एक विशेषज्ञ ने कहा कि चीन ने ट्रंप की दोबारा चुनकर राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को कम करने के लिए कुछ प्रयास किये थे, लेकिन इसने नतीजों और चुनावों को प्रभावित नहीं किया।
"अमेरिकी चुनावों के लिए रूस सबसे बड़ा खतरा"
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सामने आया है कि पिछले चुनावों की तरह इस बार ऐसे कोई संकेत नहीं है कि विदेशी लोगों ने मतदाता पंजीकरण, मतदान और इससे जुड़ी प्रक्रिया को प्रभावित किया है। खुफिया एजेंसी प्रमुख एडम स्किफ की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रूस अमेरिकी चुनावों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। चीन और ईरान ने भी कुछ कदम उठाए थे, लेकिन वो रूस जितने महत्वपूर्ण नहीं थे।