पैंगोंग झील: तनाव के दौरान बनाए गए सैन्य ढांचे ध्वस्त करेंगे भारत और चीन
भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए बनी योजना के तहत दोनों देश पैंगोंग झील इलाकों में बने ढांचों को ध्वस्त करेंगे। अप्रैल से चल रही टकराव की स्थिति के बीच दोनों देशों की सेनाओं ने इस इलाके में कई ढांचों का निर्माण कर लिया था। बता दें कि दोनों पक्षों के बीच 6 जून को चुशूल में हुई आठवें दौर की सैन्य बातचीत में सैनिकों को पीछे हटाने की सहमति बनी है।
सैन्य मौजूदगी को मजबूत करने के लिए खड़े किए गए थे ढांचे
इंडिया टुडे ने शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील इलाके में अपनी सैन्य मौजूदगी को मजबूत करने के लिए बनाए गए सभी ढांचों को ध्वस्त करेंगे। गौरतलब है कि तनाव के दिनों के दौरान कई ऐसी सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई थी, जिनमें चीन की तरफ किए जा रहे निर्माण कार्यों को साफ देखा जा सकता था। भारत ने भी इसके जवाब में कई ढांचे खड़े किए थे।
सैनिक पीछे हटाने को सहमत हुए दोनों देश
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील के आसपास के इलाकों से अपने-अपने सैनिक पीछे हटाने पर सहमति बन गई है। दोनों सेनाएं इलाके में अप्रैल से पहले की अपनी यथास्थिति पर लौटने के लिए तैयार हो गई हैं।
तीन चरणों में सैनिक पीछे हटाने पर बनी सहमति
जानकारी के अनुसार, 6 नवंबर को सैन्य बातचीत में जिस योजना पर सहमति बनी है, उसके तहत दोनों सेनाएं एक हफ्ते के भीतर तीन चरणों में अपने सैनिकों और वाहनों को अप्रैल वाली यथास्थिति तक पीछे करेंगी। पहले चरण में एक दिन के अंदर टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को पीछे किया जाएगा। दूसरे चरण में उत्तरी किनारे पर सैनिक पीछे हटाए जाएंगे और दोनों पक्ष लगातार तीन दिन तक अपने 30-30 प्रतिशत सैनिकों को पीछे हटाएंगे।
तीसरे चरण में दक्षिणी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाएंगे दोनों पक्ष
तीसरे और आखिरी चरण में दोनों देशों की सेनाएं दक्षिणी किनारे की चोटियों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाएंगी। इनमें चुशूल से लेकर रेजांग ला तक की चोटियां शामिल हैं। इसके अलावा दोनों पक्षों में योजना के अमलीकरण की समीक्षा करने के लिए एक साझा तंत्र बनाने पर भी सहमति बनी है, जिसके तहत प्रतिमंडल स्तर की बैठकों और मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) के जरिए इसकी निगरानी रखी जाएगी।
धान सिंह थापा पोस्ट तक पीछे हटेंगे भारतीय सैनिक
सूत्रों के अनुसार, भारतीय सैनिक पीछे हटकर अपनी धान सिंह थापा पोस्ट के करीब आ सकते हैं, वहीं चीन के सैनिक अपनी तरफ पीछे हटते हए फिंगर आठ के पूर्व में स्थित अप्रैल से पहले की अपनी पोस्ट पर पहुंच जाएंगे।
वादाखिलाफी करता रहा है चीन, भारत सतर्क
सैन्य बैठक में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनने के बावजूद भारत पूरे मामले को लेकर सतर्क है क्योंकि चीन पहले भी सैनिकों को पीछे हटाने का वादा करके अपने वादे से पीछे हट चुका है। ऐसी ही एक वादाखिलाफी के बाद 14 जून को गलवान में दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। चीन की इन करतूतों को देखते हुए भारत को चीन पर बिल्कुल भरोसा नहीं है।