क्या कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ कारगर साबित होगी वैक्सीन? ICMR कर रहा अध्ययन
कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद सामने आए वायरस के नए डेल्टा प्लस वेरिएंट ने लोगों और चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। देश के कुछ हिस्सों में इसके मामले भी सामने आ चुके हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना वैक्सीन डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ कारगर साबित होगी? ऐसे में अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) इसका अध्ययन करने में जुट गए हैं।
क्या है 'डेल्टा प्लस' वेरिएंट?
सबसे पहले भारत में मिले कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में अब एक और म्यूटेशन हुआ है। इस म्यूटेशन के साथ इसे 'डेल्टा प्लस' या 'AY.1' वेरिएंट के नाम से जाना जा रहा है। डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में K417N म्यूटेशन होने के बाद यह डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है। यह वेरिएंट अभी तक भारत समेत 10 देशों में पाया जा चुका है। यह एंटीबॉडी कॉकटेल से मिली सुरक्षा को चकमा देने में भी कामयाब हो रहा है।
चार राज्यों में सामने आए 40 मामले
देश के चार राज्यों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही इसके 21 मरीज मिले हैं। वायरस के इस वेरिएंट को सुपर स्प्रेडर बताया जा रहा है जो बाकी वेरिएंट की अपेक्षा काफी तेजी से फैलता है। केंद्र ने चारों राज्यों के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी है। हालांकि, इस वेरिएंट के मामलों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
वैक्सीन के प्रभाव का कर रहे हैं अध्ययन- पांडा
TOI के अनुसार ICMR के वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा ने कहा वो विभिन्न जगहों से मिले डेल्टा प्लस वेरिएंट के खिलाफ कोरोना वैक्सीन लगवा चुके लोगों के सीरम की निष्क्रियता क्षमता की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि वैक्सीन नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर साबित हो है या नहीं। उन्होंने कहा कि अध्ययन के परिणाम कुछ सप्ताह में आने की उम्मीद है। वैसे वैक्सीन के प्रभावी होने की उम्मीद की जा रही है।
डेल्टा वेरिएंट को लेकर हुई गलती नहीं दोहराना चाहते- डॉ जॉन
वायरोलॉजिस्ट डॉ टी जैकब जॉन ने कहा कि अब तक के सभी चिंताजनक वेरिएंट को फाउंडर वेरिएंट के संक्रमण से प्रेरित एंटीबॉडी द्वारा बेअसर किया जाता है। ऐसे में डेल्टा प्लस पर भी कोरोना वैक्सीन के कारगर होने का अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि डेल्टा प्लस पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है। वह डेल्टा वेरिएंट के साथ की गई गलतियों को फिर से नहीं दोहरना चाहते हैं और उनसे सबक लेना होगा।
अनदेखी के कारण आई थी महामारी की दूसरी लहर- डॉ जॉन
डॉ जॉन ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट का पता दिसंबर 2020 में चला था। उसके बाद भी उसकी सही तरह से निगरानी नहीं की गई। यही कारण रहा कि देश को महामारी की दूसरी लहर से जूझना पड़ा, लेकिन अब घबराने की जरूरत नहीं है।
इम्युनिटी को मात देने में कामयाब हो सकता है डेल्टा प्लस- विशेषज्ञ
डेल्टा प्लस वेरिएंट पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट्स में शामिल प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा कि ये वेरिएंट वैक्सीन और संक्रमण दोनों तरह की इम्युनिटी को मात देने में कामयाब हो सकता है। उन्होंने कहा था, "डेल्टा प्लस वेरिएंट में K417N म्यूटेशन है जो दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा वेरिएंट में भी था। ये स्थापित है कि बीटा वेरिएंट अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले वैक्सीनों को चकमा देने में ज्यादा कामयाब रहता है।"
डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण तीसरी लहर आने के सबूत नहीं- शीर्ष विशेषज्ञ
डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर बढ़ रही चिंताओं के बीच देश के शीर्ष जिनोम सीक्वेंसर ने कहा कि अभी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण तीसरी लहर आएगी। इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उनके इंस्टीट्यूट ने अभी तक महाराष्ट्र के जितने सैंपलों की जिनोम सीक्वेंसिंग की है, उनमें मात्र 1 प्रतिशत मामले डेल्टा प्लस के हैं। ऐसे में यह गंभीर स्थिति नहीं है।