कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण तीसरी लहर आने के सबूत नहीं- शीर्ष विशेषज्ञ
डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच देश के शीर्ष जिनोम सीक्वेंसर ने कहा है कि अभी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के कारण तीसरी लहर आएगी। इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उनके इंस्टीट्यूट ने अभी तक महाराष्ट्र के जितने सैंपलों की जिनोम सीक्वेंसिंग की है, उनमें मात्र 1 प्रतिशत मामले डेल्टा प्लस के हैं।
"3,500 से अधिक सैंपलों की सीक्वेंसिंग में डेल्टा प्लस वेरिएंट 1 प्रतिशत से कम"
NDTV से बात करते हुए डॉ अग्रवाल ने कहा, "इस समय ऐसा कोई सबूत नहीं है जो संकेत देता हो कि डेल्टा प्लस वेरिएंट का संभावित तीसरी लहर से कोई संबंध होगा।" उन्होंने कहा, "मेरा इंस्टीट्यूट जून के महीने में महाराष्ट्र के 3,500 से अधिक सैंपलों की सीक्वेंसिंग कर चुका है जिनमें अप्रैल और मई के सैंपल भी शामिल थे। हमने पाया कि डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले हैं। लेकिन इनकी भागेदारी 1 प्रतिशत से भी कम है।"
तीसरी लहर से ज्यादा दूसरी लहर के खत्म न होने पर चिंता करनी चाहिए- डॉ अग्रवाल
डॉ अग्रवाल ने कहा कि जिन इलाकों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के अधिक मामले हैं, वहां भी वे बहुत अधिक नहीं हैं और चीजें स्थिर नजर आ रही हैं। हालांकि उन्होंने साफ कि कोई भी डेल्टा वरिएंट एक 'चिंताजनक वेरिएंट' है। उन्होंने कहा, "हमें भारत में कहीं भी किसी भी डेल्टा वेरिएंट की उपस्थिति से बहुत ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए। हमें तीसरी लहर के आने से ज्यादा दूसरी लहर के खत्म न होने पर चिंता करनी चाहिए।"
डॉ अग्रवाल बोले- डेल्टा वेरिएंट से अधिक खतरनाक नहीं है डेल्टा प्लस
डॉ अग्रवाल ने अंत में कहा, "मुझे अभी डेल्टा प्लस के डेल्टा वेरिएंट से अधिक खतरनाक होने और इसके कारण तीसरी लहर आने को लेकर लोगों के घबराने का कोई कारण नजर नहीं आता। इसका अभी कोई सबूत नहीं है।"
भारत में सामने आ चुके हैं डेल्टा प्लस के 40 मामले
बता दें कि भारत में अभी तक डेल्टा प्लस वेरिएंट के 40 मामले सामने आ चुके हैं। ये मामले महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल में सामने आए हैं। सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में मिले हैं। केंद्र सरकार ने इन तीनों राज्यों को एडवाइजरी भी जारी की है और उन्हें भीड़ और लोगों का मिलना-जुलना रोकने, बड़े पैमाने पर टेस्टिंग, विस्तृत ट्रेसिंग और वैक्सीनेशन आदि कदम उठाने को कहा है ताकि इस वेरिएंट को काबू किया जा सके।
क्या है 'डेल्टा प्लस' वेरिएंट?
सबसे पहले भारत में मिले कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) में अब एक और म्यूटेशन हुआ है। इस म्यूटेशन के साथ इसे 'डेल्टा प्लस' या 'AY.1' वेरिएंट के नाम से जाना जा रहा है। डेल्टा वेरिएंट की स्पाइक प्रोटीन में K417N म्यूटेशन होने के बाद यह डेल्टा प्लस वेरिएंट बना है। यह वेरिएंट अभी तक भारत समेत 10 देशों में पाया जा चुका है। यह एंटीबॉडी कॉकटेल से मिली सुरक्षा को चकमा देने में भी कामयाब हो रहा है।
इम्युनिटी को मात देने में कामयाब हो सकता है डेल्टा प्लस- विशेषज्ञ
डेल्टा प्लस वेरिएंट पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट्स में शामिल प्रोफेसर शाहिद जमील ने कहा कि ये वेरिएंट वैक्सीन और संक्रमण दोनों तरह की इम्युनिटी को मात देने में कामयाब हो सकता है। उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, "डेल्टा प्लस वेरिएंट में K417N म्यूटेशन है जो दक्षिण अफ्रीका में मिले बीटा वेरिएंट में भी था। ये स्थापित है कि बीटा वेरिएंट अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले वैक्सीनों को चकमा देने में ज्यादा कामयाब रहता है।"