कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में क्या-क्या योगदान दे रहा है भारतीय रेलवे?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच पूरा देश एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है और इसमें सभी अपनी तरफ से कुछ न कुछ योगदान दे रहे हैं।
भारतीय रेलवे भी इस मामले में पीछे नहीं है और रेलवे के डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने से लेकर वेंटीलेटर और सैनिटाइजर बनाने तक में अपना योगदान दे रहा है।
आइए आपको कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रेलवे के इसी योगदान के बारे में विस्तार से बताते हैं।
#1
आइसोलेशन वार्ड में बदले जा रहे 5,000 डिब्बे
रेलवे की तरफ से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में जो सबसे बड़ा योगदान दिया गया है, वह है अपने डिब्बों को क्वारंटाइन या आइसोलेशन वार्ड में बदलना।
रेलवे ने अपने 5,000 डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदलना शुरू कर दिया है और इनमें से 3,250 डिब्बों को बदला भी जा चुका है।
इन 5,000 डिब्बों से रेलवे को 40,000 आइसोलेशन बेड बनाने हैं।
रेलवे जरूरत पड़ने पर अन्य 15,000 डिब्बों को भी आइसोलेशन वार्ड में बदलने को तैयार है।
#2 और #3
फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स बनाने और जरूरी सामान पहुंचाने में भी दे रहा योगदान
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान देने के लिए रेलवे फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स का भी निर्माण कर रहा है।
सात अप्रैल तक रेलवे 5,82,317 फेस मास्क और 41,882 लीटर हैंड हैंड सेनेटाइजर का उत्पादन कर चुका है। रेलवे के सभी ऑपरेशनल और रखरखाव कर्मचारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।
इसके अलावा देश के कोने-कोने में जरूरी सामान पहुंचाने के लिए रेलवे की 109 मालगड़ियां काम रही हैं।
#4
PM-केयर्स फंड में 151 करोड़ रुपये का दान
रेलवे की तरफ से PM-केयर्स फंड में भी दान दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रयोग के लिए ये फंड बनाया था और लोगों से इसमें दान देने की अपील की थी।
उनकी अपील पर रेलवे और इससे संबंधित PSU के 13 लाख से अधिक कर्मचारियों ने अपनी एक दिन की सैलरी इसमें दान देने का फैसला लिया। ये रकम कुल मिलाकर 151 करोड़ रुपये होती है।
#5
बनाया कम कीमत वाला वेंटीलेटर, बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए मंजूरी का इंतजार
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में वेंटीलेटर्स की बहुत जरूरत है और इसी को देखते हुए रेलवे ने वेंटीलेटर बनाने का फैसला लिया है।
कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में 'जीवन' नाम का एक कम कीमत का वेंटीलेटर बना भी लिया है। इसकी कीमत मात्र 10,000 रुपये का आसपास है।
इनका उत्पादन शुरू करने के लिए रेलवे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रही है और इसके बाद एक दिन में 100 वेंटीलेटर बना सकती है।
#6
रेलवे अस्पतालों में बेडों का इंतजाम, डॉक्टरों को मैदान में उतारा
रेलवे कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों का इलाज करने के लिए अपने अस्पतालों में 1,000 बेड भी प्रदान कर रही है। इसके अलावा देशभर में रेलवे अस्पतालों में ऐसे 12,483 बेडों की पहचान भी की गई है जिनका इस्तेमाल लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए किया जा सकता है।
रेलवे मानव संसाधन के जरिए भी मदद कर रही है और अपने 2500 डाक्टरों, नर्सों और 35,000 पैरामेडिकल स्टाफ को केंद्रीय कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखभाल में लगाया है।