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गुजरात में खुले टाटा-एयरबस के संयुक्त संयंत्र से भारत की रक्षा क्षमताओं में कैसे होगा इजाफा?
टाटा-एयरबस संयंत्र भारत की रक्षा क्षमताओं में करेगा इजाफा (तस्वीर: एक्स/@TataCompanies)

गुजरात में खुले टाटा-एयरबस के संयुक्त संयंत्र से भारत की रक्षा क्षमताओं में कैसे होगा इजाफा?

Oct 28, 2024
12:57 pm

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने भारत दौरे के तहत गुजरात के वडोदरा पहुंचे स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज के साथ भारतीय वायुसेना के लिए C-295 मध्यम-लिफ्ट सामरिक परिवहन विमान की फाइनल असेंबली लाइन (FAL) संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड (TASL) और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (एयरबस DS) के बीच संयुक्त साझेदारी में संचालित किया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं इस संयंत्र से भारत की रक्षा क्षमताएं कैसे बढ़ेगी।

उपलब्धि

भारत का पहला निजी सैन्य परिवहन विमान उत्पादन संयंत्र

यह भारत का पहला निजी सैन्य परिवहन विमान उत्पादन संयंत्र है। C-295 कार्यक्रम में कुल 56 विमानों का निर्माण होगा। इनमें से 16 स्पेन से एयरबस द्वारा सीधे प्राप्त किए जा रहे हैं तथा शेष 40 भारत में ही बनाए जाएंगे। फरवरी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसमें 15 और C-295 विमानों का प्रस्ताव था। इनमें 9 नौसेना और छह तटरक्षक बल के लिए निर्धारित किए गए थे।

बजट

रक्षा मंत्रालय ने किया 20,000 करोड़ रुपये का अनुबंध

इस समझौते के तहत तैयार होने वाले विमानों की डिलीवरी 2031 तक होगी। रक्षा मंत्रालय और एयरबस DS ने 56 C295 की आपूर्ति के लिए लगभग 21,935 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। स्पेन अब तक 6 विमान वितरित भी कर चुका है। बड़ी बात यह है कि वडोदरा में स्थापित यह संयंत्र आत्मनिर्भर भारत का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसमें 18,000 से अधिक पुर्जे तो भारत में ही तैयार किए जाएंगे।

खासियत

क्या है C-295 विमानों की खासियत?

C-295 विमानों का छोटी या बिना तैयारी वाली हवाई पट्टियों से संचालन किया जा सकता है। इसका उपयोग 71 सैनिकों या 50 पैराट्रूपर्स के सामरिक परिवहन के लिए और ऐसे स्थानों पर रसद कार्यों के लिए किया जाता है, जो मौजूदा में भारी विमानों के लिए पहुंच योग्य नहीं हैं। यह पैराट्रूपर्स और लोड को एयरड्रॉप कर सकता है और इसका उपयोग हताहत या चिकित्सा निकासी (मेडिकेवैक) के लिए किया जा सकता है।

रक्षा क्षमता

भारत की रक्षा क्षमताओं में कैसे होगा इजाफा?

यह संयंत्र भारत की रक्षा क्षमताओं में बड़ा इजाफा भी करेगा। इस परियोजना में विनिर्माण से लेकर असेंबली, परीक्षण और योग्यता, विमान के पूरे जीवनचक्र की डिलीवरी और रखरखाव तक एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का पूर्ण विकास शामिल होगा। C-295 विमान भारतीय वायुसेना के HS-748 एवरो बेड़े की जगह लेगा। इस संयंत्र की स्थापना से रक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के एकाधिकार को भी समाप्त करेगा।

योगदान

इस संयंत्र में ये कंपनियां भी देंगी योगदान

टाटा के अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी अग्रणी रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां, साथ ही निजी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भी इस कार्यक्रम में योगदान देंगे। इससे उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। इसी तरह C-295 विनिर्माण संयंत्र रोजगार का एक बड़ा केंद्र भी होगा क्योंकि यह विभिन्न साइटों पर 3,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 15,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगा।

फायदा

भारतीय वायुसेना बनेगी C-295 विमान की सबसे बड़ी ऑपरेटर

इस संयंत्र के पूरी तरह से चालू होने और सभी विमानों की डिलीवरी होने के बाद भारतीय वायुसेना C-295 एयरक्राफ्ट की दुनिया की सबसे बड़ी ऑपरेटर बन जाएगी। उसके बाद दुनिया के सभी देशों को इस विमान के रखरखाव और संचालन के लिए वायुसेना की मदद लेनी पड़ेगी। इससे भारत की रक्षा क्षमताओं और परिचालन तत्परता में और वृद्धि होगी। बता दें कि यह स्पेन के प्रधानमंत्री की 18 साल में पहली आधिकारिक भारत यात्रा है।