दिल्ली दंगों के मामले में हुई कपिल मिश्रा से पूछताछ, भाषण देने की बात नकारी- चार्जशीट
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 28 जुलाई को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में भाजपा नेता कपिल मिश्रा से पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान मिश्रा ने कहा कि उन्होंने मौजपुर दौरे के दौरान कोई भाषण नहीं दिया था। दिल्ली पुलिस द्वारा पिछले सप्ताह कड़कड़डूमा अदालत में दायर की चार्जशीट में ये बातें कही गई हैं। गौरतलब है कि मिश्रा पर फरवरी में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है और उनकी भूमिका सवालों के घेरे में है।
वीडियो में पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में भाषण देते दिखे थे मिश्रा
कपिल मिश्रा ने 23 फरवरी को ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इसमें वो मौजपुर ट्रैफिक सिग्नल के पास भाषण देते हुए दिख रहे हैं। मिश्रा दिल्ली पुलिस के DCP (उत्तर-पूर्व) वेद प्रकाश सुर्या के पास खड़े होकर नागरिकता कानून के समर्थकों को संबोधित कर रहे थे। अदालत में दायर चार्जशीट में उन प्रश्नों को भी शामिल किया गया है, जो पुलिस ने मिश्रा से उनके मौजपुर दौरे और वायरल वीडियो के बारे में पूछे थे।
भाषण नहीं दिया, पुलिस को रास्ता खाली कराने को कहा- मिश्रा
पूछताछ के दौरान मिश्रा ने पुलिस कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के कारण उस इलाके के लोगों को परेशानियां हो रही थी। मिश्रा ने बताया कि उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया था। वो केवल पुलिस से तीन दिनों के भीतर रास्ता खाली कराने को कह रहे थे। उन्होंने बताया कि मौजपुर पहुंचने से पहले उन्होंने DCP को बुलाया था। उनके वहां तक पहुंचने से पहले ही कई जगहों पर दंगे शुरू हो चुके थे।
लोगों के बुलाने पर मौजपुर पहुंचा- मिश्रा
जब उनसे मौजपुर चौक पर जाने के बारे में पूछा गया तो मिश्रा ने कहा कि उन्हें वहां रहने वाले लोगों के फोन आ रहे थे और वो रास्ता बंद होने के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में बता रहे थे। मिश्रा ने अपने बयान में कहा कि लगभग 2:45 बजे लोगों ने उन्हें बताया कि पत्थरबाजी शुरू हो गई है और पुलिस को जाफराबाद के पास नाका लगाने में मुश्किलें आ रही हैं।
सड़क बंद होने के कारण लोगों को हो रही थी परेशानियां- मिश्रा
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने पुलिस को दिए अपने बयान में आगे कहा, "नागरिकता कानून के विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कबीरनगर और जाफराबाद में पहले ही पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। पुलिस ने जहां वो खड़े थे, वहां से 300 मीटर की दूरी पर रोका था। वो DCP से तीन दिनों में सड़क खाली करने का कहकर लौट गए क्योंकि वहां रहने वाले लोगों को सड़क बंद होने के कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।"
बीते सप्ताह दायर की गई थी चार्जशीट
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले सप्ताह इस साल फरवरी में हुए दंगों के मामले में चार्जशीट दायर की थी। कड़कड़डूमा अदालत में दायर की गई कई हजार पन्नों की इस चार्जशीट में 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA), आर्म्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस का कहना है कि अभी उसकी जांच जारी है और वह एक पूरक चार्जशीट भी दायर करेगी।
तीन दिन तक दंगों की आग में झुलसी थी दिल्ली
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में इस साल 24 से 26 फरवरी के बीच लगातार तीन दिन दंगे हुए थे। इनमें 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि लगभग 500 घायल हुए थे। मरने वालों में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल भी शामिल थे। इस दौरान संपत्ति का भी भारी नुकसान हुआ था और दंगाइयों ने घरों, दुकानों और वाहनों समेत जो भी आगे आया, उसमें आग लगा दी। एक पेट्रोल पंप को भी आग लगाई गई थी।