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क्या होता है सोलर बीटा, जिसके कारण शुभांशु शुक्ला की वापसी में हुई देरी?
शुभांशु शुक्ला की वापसी में हुई देरी

क्या होता है सोलर बीटा, जिसके कारण शुभांशु शुक्ला की वापसी में हुई देरी?

Jul 14, 2025
07:05 pm

क्या है खबर?

एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज (14 जुलाई) शाम पृथ्वी के लिए रवाना होंगे। उनका यह मिशन 2 हफ्तों का था और योजना के अनुसार उन्हें 10 जुलाई तक ही लौटना था। हालांकि, मिशन में कुछ बदलाव हुए और अब वे भारतीय समयानुसार दोपहर 03:00 बजे अमेरिकी तट पर उतरेंगे। उनकी वापसी में देरी की मुख्य वजह अंतरिक्ष में सोलर बीटा नामक स्थिति मानी जा रही है।

सोलर बीटा

क्या होता है सोलर बीटा?

सौर बीटा वह कोण होता है. जो सूर्य और अंतरिक्ष यान की कक्षा के बीच बनता है। जब यह कोण अधिक हो जाता है, तो अंतरिक्ष यान सूर्य की सीधी रोशनी में लगातार बना रहता है। सामान्य स्थिति में यान दिन और रात के चक्र से गुजरता है, यानी कभी रोशनी और कभी छाया में होता है, लेकिन उच्च सौर बीटा में लगातार रोशनी पड़ती है। नासा इस दौरान यान की वापसी को टाल देती है।

असर

सौर बीटा का यान पर क्या असर पड़ता है? 

जब यान लगातार सूर्य की रोशनी में रहता है, तो उसका बाहरी तापमान 150 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जिससे उसके बाहरी उपकरण, जैसे सौर पैनल और रेडिएटर, ज्यादा गर्म हो जाते हैं। वहीं, जब यान छाया में होता है, तो तापमान -170 डिग्री तक गिर सकता है। ऐसे उतार-चढ़ाव से ताप प्रबंधन मुश्किल हो जाता है। अगर नियंत्रण न हो, तो यान की बैटरियां और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम खराब हो सकते हैं। इससे मिशन रोक दिया जाता है।