50 पैसे जमा करने के लिए बैंक ने व्यक्ति को भेजा नोटिस, जानें फिर क्या हुआ
अक्सर कोर्ट में कुछ ऐसे अजीबो-गरीब मामले आ जाते हैं, जो चर्चा का रूप ले लेते हैं। इसलिए इन मामलों को निपटाने के लिए समय-समय पर लोक अदालत लगाई जाती है। ऐसे में कोर्ट में पैसों के हेर-फेर या पैसों के फ्रॉड को लेकर मुकदमे चलना एक आम बात है, लेकिन बीते शनिवार को राजस्थान के झुंझुनू की अदालत में एक ऐसा अजीबो-गरीब मामला सामने आया, जिसके बारे में सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित है। आइए जानें।
50 पैसे जमा करवाओ, नहीं तो होगी कानूनी कार्रवाई
दरअसल, राजस्थान के झुंझुनूं के रहने वाले युवक जितेंद्र कुमार का भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की स्थानीय शाखा में जनधन खाता खुला हुआ है। इसके अंतर्गत उनके खाते में कुल 124 रुपये हैं, लेकिन फिर भी 12 दिसंबर को जितेंद्र के पास बैंक से एक नोटिस आया। जब जितेंद्र ने उस नोटिस को पढ़ा तो उसमें स्पष्ट रूप से लिखा था कि शनिवार को लोक अदालत में पहुंचकर 50 पैसे जमा करवाएं अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बैंक के अधिकारियों ने बकाया पैसे लेने से किया इंकार
जानकारी के मुताबिक, जितेंद्र की रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने के कारण उनके पिता विनोद सिंह खेतड़ी लोक अदालत पहुंचे। 50 पैसे का नोटिस देखकर जज और अन्य लोग हैरानी जताने लगे और बैंक अधिकारी बिना 50 पैसे लिए ही मौके से कुर्सी छोड़ कर चले गए। विनोद ने बताया, "मैं सुबह से 50 पैसे जमा कराने के लिए बैंक के चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन बैंक के अधिकारी पैसे लेने से मना कर रहे हैं।"
मामले से परेशान युवक ने ली वकील की सहायता
जितेंद्र के वकील विक्रम सिंह का कहना है कि उनके क्लाइंट को 50 पैसे जमा करवाने का नोटिस SBI द्वारा भेजा गया था। मगर, जब लोक अदालत में उनका क्लाइंट 50 पैसे जमा करवाकर एनओसी लेने पहुंचा, तो अधिकारियों ने पैसे लेने से मना कर दिया और उन्हें एनओसी भी नहीं दी। इतना ही नहीं, विक्रम ने यहां तक कहा कि वह बैंक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और मानहानि का दावा पेश करेंगे, क्योंकि नोटिस बैंक द्वारा भेजा गया है।
बैंक का नोटिस दिखाते हुए जितेंद्र के पिता
SBI पहले भी कर चुका है अजीबो-गरीब काम
इससे पहले भी SBI की ओर से अजीबो-गरीब मामला सामने आ चुका है। मध्य प्रदेश के भिंड जिले के आलमपुर में स्थित SBI की लापरवाही की वजह से एक व्यक्ति की मेहनत की कमाई कोई दूसरा उसी खाते से निकालता रहा। दरअसल, बैंक ने एक जैसे नाम के दो व्यक्तियों को एक ही बैंक खाते का मालिक बना दिया था। खाते में एक व्यक्ति पैसे जमा करता रहा, जबकि दूसरे ने पैसे निकालकर खर्च कर दिए।