कोरोना वायरस: संक्रमितों की संख्या में चीन से आगे कैसे निकला भारत?
कोरोना वायरस (COVID-19) के मामलों में भारत शुक्रवार को चीन से आगे निकल गया। शुक्रवार तक भारत में 85,940 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी थी। इसकी तुलना में चीन में महामारी के कुल 84,038 मामले हैं। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, संक्रमितों की संख्या के मामले में भारत का दुनिया में 11वां और चीन का 13वां स्थान है। चीन में पिछले दिनों में नए मामलों की संख्या कम हुई है, वहीं भारत में यह तेजी से बढ़ी है।
चीन में भारत से ज्यादा मौतें
संक्रमितों की संख्या में भारत ने चीन को पछाड़ दिया है, लेकिन मृतकों की संख्या में पड़ोसी देश भारत से आगे है। चीन में संक्रमितों में मृत्यु दर 5.5 प्रतिशत है, जबकि भारत में यह 3.2 प्रतिशत है। शनिवार तक भारत में 2,751 और चीन में 4,637 मौतें हुई हैं। चीन में एक लाख जनसंख्या पर 0.33 प्रतिशत लोगों की मौत हो रही है, जबकि भारत में एक लाख जनसंख्या पर जान गंवाने वालों की दर 0.20 प्रतिशत है।
भारत में अब तक 21 लाख से ज्यादा टेस्ट
शनिवार तक भारत ने कोरोना वायरस के 21.34 लाख टेस्ट किए थे। इस बात की जानकारी नहीं है कि चीन अब तक कुल कितने टेस्ट कर चुका है। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीन के कुछ इलाकों में महामारी की दूसरी लहर आने के संकेत देखे जा सकते हैं। हाल ही में वुहान में कोरोना वायरस के नए मामले देखे गए थे, जिसके बाद सरकार ने वहां के सभी लोगों के टेस्ट कराने का ऐलान किया था।
भारत और चीन में कब शुरू हुए कोरोना वायरस के मामले?
कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीन के वुहान में पिछले साल नवंबर में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। हालांकि, चीन ने दिसंबर में इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को सूचित किया था। जनवरी के दूसरे सप्ताह में WHO ने इसे खतरा माना और अन्य देशों को इस बारे में सूचित किया। वहीं भारत में 30 जनवरी को केरल में पहला मामला सामने आया था। संक्रमित पाई गई छात्रा वुहान से लौटी थी।
10,000 मामले पहुंचने में दोनों देशों को लगा लगभग एक जैसा समय
भारत और चीन में कोरोना वायरस के पहले 10,000 मामले सामने आने में लगभग एक जैसा समय लगा था। भारत में जहां 74 दिनों में संक्रमितों की संख्या 10,000 पहुंची थी, वहीं अगर चीन में महामारी का पहला मामला नवंबर में सामने आया तो उसे भी इस संख्या तक पहुंचने में 75 दिन का समय लगा। इसके बाद दोनों ही देशों में तेजी से मामले बढ़ने लगे। साथ ही साथ यह वायरस पूरी दनिया को अपनी चपेट में लेता गया।
दोनों देशों में कैसे बढ़ते गए मामले?
भारत में संक्रमितों की संख्या 10,000 से 20,000 पहुंचने में नौ, 20,000-30,000 में सात, 30,000-40,000 में छह, 40,000-50,000 में चार, 50,000-60,000 में चार, 60,000-70,000 में तीन और 70,000-80,000 पहुंचने में चार दिन का समय लगा। इसी तरह चीन में 10,000 से 20,000 पहुंचने में चार, 20,000-30,000 में तीन, 30,000-40,000 में पांच, 40,000-60,000 में पांच, 60,000-70,000 में तीन और 70,000-80,000 मामले सामने आने में 16 दिन लगे। समय बीतने के साथ चीन संक्रमण पर काबू पाने में कामयाब रहा।
भारत और चीन को मिला लॉकडाउन का फायदा
भारत और चीन की तुलना में अमेरिका, इंग्लैंड, इटली और स्पेन जैसे देशों में 10,000 मामले पहुंचने में काफी कम समय लगा। अमेरिका और इंग्लैंड में पहला मामला सामने आने के 54 दिन बाद संक्रमितों की संख्या 10,000 पहुंच गई। वहीं इटली में 40 और स्पेन में 46 दिनों में ही कोरोना वायरस के 10,000 मामले सामने आ गए। यह बात गौर करने वाली है कि इन देशों ने लॉकडाउन लगाने में भारत और चीन से ज्यादा समय लिया था।
लॉकडाउन से लगी संक्रमण की रफ्तार पर रोक
जानकारों का कहना है कि भारत में जारी लॉकडाउन के कारण संक्रमण की गति पर रोक लगी है। साथ ही वो ये भी कहते हैं कि लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद मामलों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होगी। वहीं चीन ने जनवरी में पूरे वुहान को लॉकडाउन कर दिया था। 76 दिन चला यह लॉकडाउन प्रभावी साबित हुआ। पिछले एक महीने से वहां आधिकारिक तौर पर एक भी मौत नहीं हुई है।