कोलकाता: 52 वर्षीय शख्स ने 38 दिन वेंटीलेटर पर रहने के बाद कोरोना वायरस को हराया
जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय! कोरोना महामारी के बीच पश्चिम बंगाल के दक्षिण कोलकाता निवासी 52 वर्षीय निताईदास मुखर्जी पर यह कहावत एकदम सटीक बैठती है। दरअसल, गत सोमवार से करीब 38 दिन पहले जब उन्हें कोरोना वायरस संक्रमित होने पर गंभीर हालत में वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया गया तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह बच जाएंगे, लेकिन उन्होंने जीने की अपनी दृढ इच्छा शक्ति से लंबी लड़ाई के बाद कोरोना को हरा दिया।
29 मार्च को निजी अस्पताल में शुरू हुई थी कोरोना से जंग
निताईदास की पत्नी अपराजिता ने बताया कि उनके पति को 2017 में निमोनिया हुआ था। उन्हें गंभीर खांसी और बुखार हुआ था। 26 मार्च को उनके फिर से सर्दी, खासी और बुखार हो गया। उन्होंने सोचा कि फिर से निमोनिया हो गया, लेकिन राहत नहीं मिलने पर 29 मार्च को उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां उनकी जांच की तो उनके कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो गई। गंभीर हालत में उन्हें वेंटीलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया।
डॉक्टरों की टीम ने गंभीर ऑपरेशन को दिया अंजाम
अपराजिता ने बताया कि उनके पति की बिगड़ती हालत को देखकर डॉक्टरों ने टीम ने उनके गले और श्वांस नली में एक चीरा लगाकर सीधी ऑक्सीजन भेजने का जरिया बनाया था। उस दौरान डॉक्टरों ने उनके बचने की बहुत कम उम्मीद जताई थी।
निताईदास ने मौत से की डटकर लड़ाई
अपराजिता ने बताया कि डॉक्टरों द्वारा बचने की बहुत कम उम्मीद बताने के बाद भी निताईदास ने जीने की उम्मीद नहीं छोड़ी। वह अपने दृढ विश्वास के साथ प्रतिदिन मौत से लड़ते गए और धीरे-धीरे उनकी सेहत में सुधार होने लग गया। स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार होने पर निताईदास की हिम्मत और बढ़ गई और उन्होंने कोरोना के खिलाफ अपनी जंग जारी रखी। इसी दृढ इच्छाशक्ति के साथ उन्होंने 38 दिन बाद आखिरकार कोरोना को धूल चटा दी।
लोगों की दुआओं का भी हुआ असर
अपराजिता ने बताया कि उनके पति एक NGO चलाते हैं और उन्होंने बहुत से गरीब लोगों की मदद की थी। उन्हें लगता है कि शायद कोरोना के खिलाफ जंग में उन्हीं लोगों की दुआओं से वह मौत को हराकर फिर से घर लौट आए।
निताईदास ने डॉक्टरों की टीम का जताया आभार
कोरोना को मात देने के बाद सोमवार को जब निताईदास अपने घर पहुंचे तो लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। बेहद कमजोर हो चुके निताईदास ने कहा कि उन्हें नई जिंदगी देने के लिए वह डॉक्टरों की टीम का आभार जताना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कड़ी मेहनत से ही उन्हें दूसरा जीवन मिला है। यदि वह प्रयास नहीं करते तो शायद आज वह जिंदा नहीं होते। वह अभी बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रहे हैं।
डॉक्टरों ने ठीक होने को बताया चमत्कार
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा स्थापित सलाहकार पैनल के डॉक्टरों में से एक सुकुमार मुखर्जी ने कहा कि निताईदास का स्वस्थ होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज के वेंटीलेटर पर जाने के बाद बचने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन निताईदास ने 38 दिन वेंटीलेटर पर रहकर कोरोना से जंग लड़ते हुए जीत हासिल की है। इतने लंबे समय तक वेंटीलेटर पर रहकर कोरोना को हराने का यह देश का पहला मामला है।
भारत और पश्चिम बंगाल में यह है संक्रमण की स्थिति
देश में पिछले 24 घंटों में सामने आए 3,049 नए मरीजों के साथ संक्रमितों की संख्या 62,939 हो गई है। इसी तरह 117 नई मौतों के साथ मृतकों का आंकड़ा 2,109 पर पहुंच गया है। देश में अब तक कुल 19,358 लोग इससे ठीक हो चुके हैं। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में संक्रमितों की संख्या 1,786 हो गई है और अब तक 171 लोगों की जान जा चुकी है।