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    कोरोना वायरस: हॉटस्पॉट धारावी ने संक्रमण पर लगाम कैसे लगाई?

    कोरोना वायरस: हॉटस्पॉट धारावी ने संक्रमण पर लगाम कैसे लगाई?

    लेखन प्रमोद कुमार
    Jun 24, 2020
    11:55 am

    क्या है खबर?

    मुंबई के धारावी में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। लगभग 2.1 स्क्वेयर किलोमीटर में फैली इस बस्ती में आठ लाख से ज्यादा लोग रहते हैं।

    छोटे-छोटे घरों वाले इस इलाके में जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है। यह घनत्व किसी भी संक्रामक बीमारी के फैलने के लिए सबसे मुफीद साबित हो सकता है।

    शुरुआत में धारावी कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट साबित हुई थी, लेकिन अब इसने संक्रमण पर कुछ हद तक काबू पा लिया है।

    प्रयास

    प्रशासन ने की थी कोरोना को धारावी से दूर रखने की कोशिश

    देश में कोरोना वायरस की शुरुआत के समय से ही अधिक जनसंख्या घनत्व वाले इलाके चिंता का विषय बन गए थे।

    धीरे-धीरे महाराष्ट्र और मुंबई में संक्रमण फैलना शुरू हुआ, जिसके बाद धारावी को लेकर प्रशासन की रातों की नींद गायब हो गई।

    प्रशासन और सरकार ने कोरोना वायरस को धारावी में पहुंचने से रोकने की कोशिश की, लेकिन 1 अप्रैल को यह कोशिश नाकाम साबित हो गई। इस दिन यहां के बलीगा नगर में पहला कोरोना संक्रमित व्यक्ति मिला।

    धारावी

    9 मई तक हो चुकी थी 27 मौतें

    धारावी में जो पहला मरीज मिला था, उसके घर में तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होकर आए लोग रुके थे।

    इसके बाद उसके संपर्क में आए अऩ्य लोगों का टेस्ट किया गया। अगले दो दिनों में दो और नए मामले सामने आए। ये भी तबलीगी जमात से संबंधित थे।

    9 मई तक लॉकडाउन के बावजूद धारावी में 833 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके थे, जिनमें से 27 की मौत भी हो चुकी थी।

    धारावी

    खाने के लिए बाहर निकलने को मजबूर थे लोग

    शुरुआती मामले सामने आने के बाद धारावी के लोगों में भय व्याप्त हो गया। उन्हें पता था कि घर में रहकर संक्रमण को रोका जा सकता है, लेकिन खाने की कमी और उमस भरा मौसम उन्हें बाहर आने पर मजबूर कर रहा था।

    इसी बीच लॉकडाउन के कारण हजारों लोगों की नौकरियां चली गई। इससे उनकी कमाई बंद हो गई और वो पेट पालने के लिए लोगों से मिलने वाले खाने और मदद पर आश्रित हो गए।

    परेशानी

    सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का नहीं हो रहा था पालन

    लॉकडाउन के कारण इलाके में चलने वाले चमड़े, कपड़े और नमकीन के छोटे-मोटे कारखाने बंद हो गए और लोगों को अपने खाने की चिंता सताने लगी।

    खाने के लिए वो घर से बाहर आने पर मजबूर हुए, जिससे नियमों की धज्जियां उड़ी। इस बारे में 44 वर्षीय असलम दौलत खान ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "अगर खाना मिल जाए तो लोग बाहर क्यों निकलेंगे? मौत से तो सब ही डरते हैं।"

    कोरोना वायरस

    अब धारावी का क्या हाल है?

    अब लगभग डेढ़ महीने बाद धारावी में हालात नियंत्रण में दिख रहे हैं। लोगों के मन से डर कम हुआ है और संक्रमित लोग ठीक होकर वापस घर आ गए हैं।

    यहां वायरस की वृद्धि दर मई के 4.3 प्रतिशत से कम होकर इस महीने 1.02 प्रतिशत आ गई है और यह कई बड़े शहरों से बेहतर है।

    यहां मामले दोगुना होने का समय बाकी मुंबई की तुलना में दो गुना है। शनिवार को यहां सिर्फ सात नए मरीज मिले।

    रणनीति

    BMC ने चलाया था 'चेज द वायरस' अभियान

    धारावी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होता देख बृह्नमुंबई नगर पालिका (BMC) ने 'चेज द वायरस' अभियान शुरू किया।

    अप्रैल से प्रशासन यहां 47,500 घरों में लगभग सात लाख लोगों की स्क्रीनिंग कर चुका है। इनमें से कोरोना वायरस के लक्षणों वाले लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन किया गया।

    इस रणनीति के बारे में बताते हुए BMC के असिस्टेंट कमिश्नर किरण दिघावकर ने कहा कि नए मामले सामने आने का इंतजार करने के बजाय उन्होंने वायरस का पीछा किया।

    अभियान

    समय से अस्पताल और क्वारंटाइन सेंटर पहंच रहे थे मरीज

    रणनीति के बारे में विस्तार से बताते हुए दिघावकर ने ब्लूमबर्ग से कहा कि उनकी टीम बढ़ते मामलों को लेकर चिंतित नहीं थी। वो मृत्यू दर को कम रखना चाहते थे।

    उन्होंने कहा कि अगर किसी की तबीयत खराब हुई तो वो खुद आकर अस्पताल में और क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती हो रहे थे।

    इसकी तुलना में मुंबई के बाकी इलाकों में लॉकडाउन और दूसरी वजहों के कारण मरीज देर से अस्पताल पहुंच रहे थे।

    रणनीति

    टेस्टिंग के लिए मैदान में उतारे गए डॉक्टर

    इसके अलावा BMC ने टेस्टिंग के लिए महिम धारावी मेडिकल प्रैक्टिशन एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के सदस्यों के साथ हाथ मिलाया था।

    इलाके में काम करने वाले एक जनरल सर्जन शिवकुमार उत्तुरे ने लाइवमिंट से बातचीत में कहा कि उनकी टीम टेस्टिंग के लिए 10 दिनों तक मैदान में रही थी। साथ ही BMC ने निजी डॉक्टरों को PPE किट दिये, जिस वजह से उन्होंने मार्च में बंद हुए अपने क्लिनिक फिर से खोल दिए।

    इंतजाम

    जांच के लिए प्रयोग हुए ऑक्सीमीटर

    जब धारावी में टेस्टिंग किट की कमी हुई तब डॉक्टरों ने लोगों में ऑक्सीजन स्तर की जांच के लिए ऑक्सीमीटर इस्तेमाल करने शुरू कर दिए।

    डॉक्टर उत्तुरे ने बताया, "आमतौर पर किसी व्यक्ति में ऑक्सीजन स्तर 98-100 प्रतिशत के बीच होना चाहिए। अगर किसी में यह इससे कम है तो उसकी जांच की जरूरत होती है। इसलिए हम ऑक्सीजन स्तर की कमी को देखकर कई मरीजों की पहचान करने में कामयाब रहे।"

    ऐहतियात

    शुरुआती कामयाबी मिली, लेकिन जंग अभी जारी

    संक्रमण पर कुछ हद तक नियंत्रण कर धारावी सुर्खियों मे आ गई। केंद्र सरकार ने भी इसकी तारीफ की है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में बयान जारी कर कहा कि यहां 80 प्रतिशत लोग सामुदायिक शौचालयों पर निर्भर है और लोग तंग गलियों में छोटे घरों में रहने को मजबूर है, लेकिन BMC की ट्रेसिंग, ट्रेकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटिंग रणनीति ने कमाल कर दिया।

    धारावी भले ही प्रशंसा पा रही है, लेकिन जंग अभी खत्म नहीं हुई है।

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