#NewsBytesExplainer: कैसे CJI की तेजी और नए दिशा-निर्देशों ने रेप पीड़िता को दिलवाई गर्भपात की अनुमति?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 25 वर्षीय रेप पीड़िता की 27 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका पर अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि गुजरात हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को न समझते हुए सुनवाई में काफी समय खर्च कर दिया और पीड़िता गर्भपात करा सकती है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पूरे मामले को फास्ट-ट्रैक करने में अहम भूमिका निभाई थी। आइए इसके बारे में जानते हैं।
मामला
क्या है पूरा मामला?
रेप पीड़िता ने 7 अगस्त को गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी गर्भावस्था को खत्म करने की अनुमति मांगी थी, जिसके बाद मेडिकल बोर्ड ने उसकी जांच की।
मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट में गर्भपात को उचित ठहराया था, लेकिन हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख देते हुए 17 अगस्त को पीड़िता की याचिका को खारिज कर दिया।
उस समय पीड़िता की गर्भावस्था को 28 सप्ताह पूरे होने में कुछ ही समय बाकी था।
मामला
CJI के सामने कब और कैसे पहुंचा मामला?
NDTV के मुताबिक, गुजरात हाई कोर्ट के लचर रवैये को देखते हुए 27 सप्ताह की गर्भावस्था पूरी कर चुकी पीड़िता के वकील विशाल अरुण मिश्रा ने 18 अगस्त की रात करीब 1 बजे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
इसके बाद उन्होंने सुबह सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने मामले का जिक्र किया। इसी दिन रात करीब 9:30 बजे CJI चंद्रचूड़ को याचिका के बारे में जानकारी दी गई।
मामला
CJI ने क्या कदम उठाया?
CJI चंद्रचूड़ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए रजिस्ट्रार को जस्टिस बीवी नागरत्ना से पूछने के लिए कहा कि क्या वह अगली सुबह (19 अगस्त) को इस मामले में एक विशेष सुनवाई कर सकती हैं।
बतौर रिपोर्ट्स, जस्टिस नागरत्ना सुनवाई के लिए तुरंत सहमत हो गईं, जिसके बाद CJI ने मामले की सुनवाई के लिए उनकी और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की एक विशेष पीठ का गठन कर दिया।
सुनवाई
विशेष पीठ की सुनवाई में क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने 19 अगस्त (शनिवार) को सुबह 10:30 बजे मामले पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाई कोर्ट द्वारा की गई देरी पर सवाल उठाया।
कोर्ट ने एक नए मेडिकल बोर्ड का गठन करते हुए गर्भपात पर रविवार शाम तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
सोमवार को मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता को गर्भपात करवाने की अनुमति दे दी।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा, "किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न कष्टकारी होता है और यौन शोषण के परिणामस्वरूप गर्भवती होने से पीड़ा बढ़ जाती है। ऐसी गर्भावस्था स्वैच्छिक या मन से नहीं होती है।"
पीठ ने आगे कहा था, "गुजरात हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता से नहीं लिया और इस पर अधिक बिना विचार किए पीड़िता की मांग को खारिज कर दिया। हम गर्भपात करने की अनुमति देते हैं।"
मामला
अति आवश्यक मामलों के लिए CJI के नए दिशा-निर्देश आए काम
मामले में सुप्रीम कोर्ट की तत्काल सुनवाई के पीछे CJI द्वारा तैयार किए गए नए दिशा-निर्देशों को आधार माना जा रहा है।
इनके मुताबिक, अति आवश्यक मामलों को सुबह तक रजिस्ट्रार के पास भेजा जा सकता है, जो इन्हें CJI के सामने लंच ब्रेक या किसी और उपयुक्त समय के दौरान पेश करते हैं।
दिशा-निर्देशों में मामलों को ई-मेल के जरिए भी CJI तक पहुंचाने का प्रावधान है, जो इन पर बारीकी से नजर रखते हैं।
मामला
हालिया समय में और किन मामलों पर तत्काल सुनवाई हुई?
सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशा-निर्देशों के तहत हाल ही में कई मामलों पर तत्काल सुनवाई की मांग को स्वीकार करते हुए अहम फैसले दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को देर रात सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को राहत देते हुए एक सप्ताह की अंतरिम जमानत दी थी और गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी।
इसके अलावा नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर भी सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे।