अनुच्छेद 370: हजारों जवान, सैटेलाइट फोन और ड्रोन, जानिये सरकार ने कैसे की बड़ी तैयारी
क्या है खबर?
मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्ज समाप्त कर दिया है।
अब जम्मू-कश्मीर में देश के दूसरे हिस्सों की तरह कानून लागू होंगे। पिछले कई दिनों से जम्मू-कश्मीर में चल रही गहमागहमी को देखते हुए लग रहा था कि सरकार कुछ बड़ा करने वाली है।
यह कदम क्या होगा? इसकी जानकारी बेहद कम लोगों की थी।
आइये जानते हैं कि सरकार ने यह फैसला करने से पहले कैसी तैयारियां की थी।
मुलाकात
लगभग महीने पहले खुफिया अधिकारी से मिले थे प्रधानमंत्री मोदी
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 5 जुलाई को खुफिया एजेंसी रॉ प्रमुख सामंत गोयल ने प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी।
इस दौरान उन्होंने मोदी को बताया कि अब कश्मीर को दिया विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने का सही मौका है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस फैसले के बाद स्थिति बिगड़ भी सकती है। पाकिस्तान आतंकवाद को और बढ़ावा दे सकता है, जिससे कश्मीर में हालात खराब होने की आशंका है।
विदेशी कारक
अमेरिका-तालिबान चर्चा से भारत पर असर
भारत को इसका इल्म था और इमरान खान की अमेरिका यात्रा के बाद यह बात पुख्ता हो गई कि अमेरिका अफगानिस्तान से निकलने के लिए बेताब है।
इसके लिए जरूरी है कि तालिबान वहां शांति बनाए रखे। यह बात जाहिर है कि तालिबान को पाकिस्तान का समर्थन है। इसलिए अगर पाकिस्तान तालिबान को शांत रखने में कामयाब होता है तो अमेरिका इसके बदले उसे आर्थिक मदद दे सकता है।
इसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल भी की जा सकती है।
जानकारी
ट्रंप ने की थी मध्यस्थता की बात
इमरान के अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कश्मीर मसले पर मध्यस्थता की बात कही थी, लेकिन भारत ने अपना पुराना रूख दोहराते हुए कहा था कि यह द्विपक्षीय मामला है और तीसरे पक्ष की दखल उसे मंजूर नहीं है।
बहुमत
भारी जनादेश से तैयार हुई जमीन
उधर कानून मोर्चे पर भी सरकार अपनी तैयारियों में जुटी थी। बताया जा रहा है कि सामंत की बैठक से पहले भाजपा के कानूनी विशेषज्ञों ने राय दी थी।
इसमें कहा गया था कि चूंकि राज्य में अभी राज्यपाल का शासन है इसलिए राष्ट्रपति के ऑर्डर से अनुच्छेद 370 में बदलाव किए जा सकते हैं।
वहीं पार्टी के पदाधिकारियों ने बताया कि भारी जनादेश के बाद से ही पार्टी ने इस मामले में अपना रूख तैयार कर लिया था।
जानकारी
अमित शाह की कश्मीर यात्रा के साथ शुरू हुई बदलाव की बयार
रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जून को गृह मंत्री अमित शाह की कश्मीर यात्रा के बाद से स्थिति में बदलाव आने शुरू हुए। शाह के साथ इंटेलीजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार और गृह सचिव राजीव गौबा भी इस दौरे पर गए थे।
सुरक्षा व्यवस्था
घाटी में थी सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ने की आशंका
सरकार के इस कदम को लेकर आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों ने हिंसा भड़कने की आशंका जाहिर थी।
इसे लेकर रॉ प्रमुख गोयल ने 11 जुलाई और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 23 जुलाई को घाटी का दौरा किया।
इसी बीच सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने घाटी के कई दौरे कर सेना अधिकारियों को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा था।
24 जुलाई को डोभाल ने तीनों सेना प्रमुखों और खुफिया एजेंसी के प्रमुखों के साथ बैठक की थी।
तैयारियां
राज्य में भेजे गए थे 2,000 सैटेलाइन फोन
पिछले सप्ताह गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 2,000 सैटेलाइट फोन भेजे थे।
घाटी में रविवार रात से इंटरनेट, मोबाइल और लैंडलाइन फोन की सेवाएं बंद कर दी थी।
सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए घाटी में अर्धसैनिक बलों की 350 अतिरिक्त कंपनियां भेजी गई थी।
इसके अलावा भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए इजरायल में बने ड्रोन घाटी भेजे गए थे।
घाटी में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए कई सेना के विमानों ने कई उड़ाने भरी थी।
तैयारी
रविवार को शाह ने दी खुफिया एजेंसियों को फैसले की जानकारी
रविवार शाम को गृहमंत्री शाह ने खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों को फोन कर तैयार रहने को कहा था।
इसी दिन शाह ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें कहा गया कि कश्मीर के हालात पर चर्चा हुई है, लेकिन उस बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों की हालात पर बातचीत की गई थी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर को साथ-साथ इस मामले में अपडेट किया जा रहा था।
सुरक्षा व्यवस्था
नेताओं को किया गया नजरबंद
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की तरफ से घाटी में खलल डालने की संभावना के बीच सुरक्षाबलों को मुस्तैद रहने के लिए कहा था।
उन्हें भीड़ के उकसावे में आकर कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा गया था।
घाटी के बड़े नेताओं को नजरबंद कर लिया गया और राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई थी।
सोमवार सुबह तक हर कोई कुछ बड़ा होने की उम्मीद किए बैठा था। इसी बीच गृहमंत्री ने जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त कर दिया।