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    धमाका, चीखें और गोलीबारी- पुलवामा आतंकवादी हमले की कहानी, काफिले का हिस्सा रहे जवान की जुबानी
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    धमाका, चीखें और गोलीबारी- पुलवामा आतंकवादी हमले की कहानी, काफिले का हिस्सा रहे जवान की जुबानी

    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 16, 2019
    02:30 pm
    धमाका, चीखें और गोलीबारी- पुलवामा आतंकवादी हमले की कहानी, काफिले का हिस्सा रहे जवान की जुबानी

    जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) पर हुए बड़े आतंकी हमले पर हर पल नई और दिल दहला देने वाली कहानियां सामने आ रही हैं। हमले को अपनी आंखों से देखने वाले एक CRPF जवान ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि हमले के बाद का मंजर इतना भयानक था कि इसे देख उस सभी की चीखें निकल गईं। उसने बताया कि हमले का शिकार बस उनकी आंखों के सामने से गायब सी हो गई।

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    हमले के अलर्ट के बावजूद क्यों बड़े काफिले में जा रहे थे जवान?

    खुफिया एजेंसियों की ओर से हमले का अलर्ट होने के बावजूद भी इतने बड़े काफिले के एक साथ चलने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस पर CRPF के एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि लगातार बर्फबारी की वजह से जम्मू-श्रीनगर हाइवे जाम होने और अलगाववादियों के बंद बुलाने के कारण 2 काफिलों को एक साथ जोड़ कर 78 वाहनों का एक काफिला बनाया गया। यह बड़ा काफिला 2,500 से अधिक जवानों को लेकर चल रहा था।

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    जम्मू में जमा हो गए थे हजारों जवान

    काफिले में शामिल जवान ने बताया, "समस्या यह थी कि 7 दिन से काफिला रुका हुआ था। जवान छुट्टियों और दूसरी पोस्टिंग से वापस आ रहे थे, लेकिन वह श्रीनगर की तरफ बढ़ने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे।" जवान ने बताया कि इसके कारण जम्मू में 5,000-6,000 सैनिक जमा हो गए और यहां कैंप में समस्या होने लगी। इसी कारण से 2 काफिलों को एक साथ आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया।

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    साधारण वाहनों में चल रहे थे कई जवान

    जवान के अनुसार, काफिला सुबह 03:30 बजे जम्मू से निकला और 11 बजे काजीगुंड पर रुका। काजीगुंड से आगे जवानों को बख्तरबंद वाहनों में ले जाया जाता है, लेकिन इस बार जवानों की संख्या अधिक होने के कारण एक काफिले के जवानों को साधारण वाहनों में बैठाया गया। इसके बाद दोनों काफिले एक साथ आगे बढ़े। जवान के कहा कि अगर हमलावर की SUV एक बख्तरबंद गाड़ी से टकराई होती तो कई जवानों की जान बच सकती थी।

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    एक मिनट से भी कम वक्त में टकराई कार

    जवान ने बताया, "3 बजे के करीब जब काफिला लेथपोरा के लटूमोडे को पार कर रहा था, तभी अचानक से हाइवे पर एक तेज स्कॉर्पियो आई और एक मिनट से भी कम वक्त में यह दूसरे काफिले की दूसरी बस से जा टकराई।" उन्होंने बताया, "तेज रोशनी से हमें दिखना बंद हो गया। तेज आवाज के कारण हम कुछ समय के लिए कुछ भी सुन पाने में असमर्थ थे। हमारी पूरी बस हिल गई और इसके कुछ शीशे टूट गए।"

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    मंजर देख चीखें निकल गईं

    जवान ने आगे बताया, "हम इतने हैरान थे कि लगभग 10 मिनट के लिए अपनी बस में ही बैठे रहे। मेरा दिमाग बिल्कुल खाली हो चुका था। कुछ समय बाद हमें गोलियां की आवाज सुनाई दी।" घटनास्थल की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, "जो मंजर हमने देखा, सबकी चीखें निकल गई। ऐसा लगा कि बस कहीं गायब हो गई। हर जगह खून बिखरा हुआ था। हम में से कई रोने लगे। उनमें से कई हमारे करीबी दोस्त थे।"

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    'बिना स्थानीय मदद के कोई इतनी विस्फोटक साम्रगी लेकर नहीं चल सकता'

    जवान ने यह भी बताया कि हमले का शिकार हुए बस में 2 जवान ऐसे थे, जो अभी CRPF से जुड़े थे और ट्रेनिंग के बाद अपनी पहली पोस्टिंग पर जा रहे थे और उन्होंने अपनी यूनिट तक नहीं देखी थी। शाम को जब काफिला श्रीनगर पहुंचा तो सदमा और दुख गुस्से में बदलने लगा। स्थानीय लोगों पर गुस्सा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि बिना स्थानीय मदद के कोई भी कार में इतनी विस्फोटक साम्रगी लेकर नहीं चल सकता।

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