हिमाचल प्रदेश के आधे हिस्से पर भूस्खलन का खतरा, IIT की रिपोर्ट में खुलासा
क्या है खबर?
हिमाचल प्रदेश का आधा हिस्सा यानी 45 प्रतिशत क्षेत्र भूस्खलन, बाढ़ और हिमस्खलन के मुहाने पर है। यह खुलासा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रोपड़ के अध्ययन में हुआ।
अध्ययन एसोसिएट प्रोफेसर रीत कमल तिवारी की अगुवाई में किया गया। अध्ययन में प्राकृतिक खतरों का मूल्यांकन करने के लिए प्रदेश के आंकड़े देखे गए।
टीम ने खतरे की संवेदनशीलता का मानचित्रण पूरा करने के बाद निष्कर्ष जारी किया। अध्ययन में ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम (GIS) आधारित मैपिंग का इस्तेमाल हुआ है।
अध्ययन
रिपोर्ट में क्या है?
IIT रोपड़ की टीम ने 14-15 फरवरी को IIT बॉम्बे में भारतीय क्रायोस्फीयर मीट (ICM) में अपना अध्ययन पेश किया। शोध पत्र स्प्रिंगर नेचर लिंक नामक पत्रिका में भी प्रकाशित है।
इसमें कहा गया कि 5.9 डिग्री और 16.4 डिग्री के बीच औसत ढलान वाले क्षेत्र और 1,600 मीटर तक की ऊंचे क्षेत्र भूस्खलन और बाढ़ दोनों के लिए अनुकूल हैं।
16.8 डिग्री और 41.5 डिग्री के बीच ढलान वाले भारी ऊंचे क्षेत्रों में हिमस्खलन-भूस्खलन दोनों के अधिक आसार हैं।
खतरा
किन जगहों पर सबसे अधिक खतरा?
रिपोर्ट में कहा गया है कि खड़ी पहाड़ी ढलान और 3,000 मीटर से अधिक ऊंचे क्षेत्र 'सबसे अधिक जोखिम वाले' हैं।
अध्ययन में बताया गया कि निचली-ऊंचाई वाली नदी घाटियों में बाढ़ और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्र है, जबकि अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ों पर हिमस्खलन का अधिक खतरा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे एक खतरा, कई कारणों के कारण दूसरे खतरों को भी जन्म दे सकता है। आपदा नियोजन और खतरे के प्रबंधन के लिए यह जानकारी जरूरी है।
जानकारी
उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में भी अध्ययन
IIT रोपड़ की टीम ने बताया कि वे हिमाचल प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में भी ऐसे खतरों को देखते हुए अध्ययन कर रहे हैं। उत्तराखंड में अध्ययन के लिए IIT रुड़की के साथ सहयोग किया जा रहा है।
भूस्खलन
हिमाचल प्रदेश में हर साल जाती है सैकड़ों जानें
हिमाचल प्रदेश में हर साल मानसून शुरू होने के बाद इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ की खबरें आती हैं, जिससे सैंकड़ों जाने जाती हैं और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है।
पिछले साल सितंबर महीने तक बाढ़ की 51 और भूस्खलन की 40 से अधिक घटनाएं हुई थीं। इस दौरान 300 से अधिक जाने गई थीं और 1,265 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था।
2023 में भी भूस्खलन और बाढ़ की 180 घटनाएं हुई थी।