भारत में कोरोना वायरस से बचाव के लिए हर्ड इम्युनिटी कोई विकल्प नहीं- स्वास्थ्य मंत्रालय
देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार का कहना है कि देश में संक्रमण को रोकने के लिए 'हर्ड इम्युनिटी' पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। गुरुवार को इस बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना वायरस को हराने के लिए देश को पूरी तरह वैक्सीन पर निर्भर रहना होगा। गौरतलब है कि भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 16 लाख और मृतकों की संख्या 35,000 के पास पहुंच गई है।
क्या होती है हर्ड इम्युनिटी?
हर्ड इम्युनिटी का मतलब किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है। यह संक्रमण के प्रसार के क्रम को तोड़ने में मदद करती है। उदाहरण के तौर पर यदि 80 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता है तो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले पांच लोगों में से चार बीमार नहीं पड़ेंगे और बीमारी का आगे प्रसार नहीं हो सकेगा।
भारत के लिए हर्ड इम्युनिटी विकल्प नहीं- स्वास्थ्य मंत्रालय
मीडिया से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "हर्ड इम्युनिटी किसी बीमारी से अप्रत्यक्ष सुरक्षा है। यह आबादी को बीमारी से बचा लेती है, लेकिन यह तभी होती है जब कोई वैक्सीन बन जाए या अधिकतर लोग बीमार होकर ठीक हो जाएं। भारत में कोरोना वायरस से बचाव के लिए हर्ड इम्युनिटी कोई विकल्प नहीं है। यह तभी हो सकता है जब कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएं।"
क्या मुंबई और दिल्ली में मिले हर्ड इम्युनिटी के संकेत?
एक समय कोरोना वायरस से देश के दो सबसे ज्यादा प्रभावित शहर दिल्ली और मुंबई में हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। हाल ही में सीरो सर्वे में पता चला कि मुंबई की झुग्गियों में रहने वाले 57 फीसदी लोगों में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडीज हैं। यानी ये बिना बीमार हुए कोरोना से ठीक हो चुके हैं। इससे पहले दिल्ली में भी ऐसे ही नतीजों के आधार पर हर्ड इम्युनिटी विकसित होने की बात कही गई थी।
हर्ड इम्युनिटी की जानकारी के लिए होगा सर्वे
सीरो सर्वे के नतीजों के बाद बृह्नमुंबई नगर निगम (BMC) ने कहा कि यह परिणाम हर्ड इम्युनिटी के बारे में और जानने के लिए महत्वपूर्ण है। हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई या नहीं, इस संबंध में जानकारी के लिए एक और सर्वे किया जाएगा।
यह कोरोना के खिलाफ कैसे कारगर है?
आमतौर पर वैक्सीन के संदर्भ में हर्ड इम्युनिटी की बात की जाती है क्योकि अभी तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं बनी है। हर्ड इम्युनिटी स्वाभाविक रूप से भी प्राप्त की जा सकती है। इस प्रक्रिया में कई लोग संक्रमित होते हैं और रोग के कारक के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करते हैं। कोरोना महामारी के शुरुआती चरण में ब्रिटेन ने हर्ड इम्युनिटी विकसित करने के लिए लोगों को हल्का बीमार होने देने की योजना बनाई थी।
नैचुरल इम्युनिटी विकसित करने में क्या है नुकसान?
अभी तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं बनी है तो हर्ड इम्युनिटी को प्राप्त करने के लिए नैचुरल इम्युनिटी विकसित की जा सकती है, लेकिन इससे कमजोर इम्युनिटी और गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। नैचुरल इम्युनिटी विकसित करने के प्रयास में लाखों लोग बीमारी की चपेट में आ सकते हैं और इससे किसी भी देश के चिकित्सा प्रणाली ध्वस्त हो सकती है। इससे मृत्यु दर में भी इजाफा होगा।
देश में क्या है कोरोना वायरस संकट की हालत?
भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से 16 लाख की तरफ बढ़ रही है। बीते दिन मिले रिकॉर्ड 52,123 नए मरीजों के साथ कोरोना वायरस के कुल मामले 15,83,792 हो गए। इनमें से 34,968 लोगों की मौत हुई है। वहीं सक्रिय मामलों की संख्या 5,28,242 हो गई है। देश में ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 10 लाख पार कर गई है और अब तक 10,20,582 मरीज ठीक हो चुके हैं। देश की रिकवरी रेट 64.43 प्रतिशत है।