कभी संक्रमण पर 'रोक' लगा चुके केरल में तेजी से बढ़ रहे मामले, कहां हुई चूक?
बीते आठ दिनों में केरल में कोरोना वायरस के 14,000 से ज्यादा नए मरीज मिले हैं और 65 मौत हुई हैं। 4 मई तक राज्य में महज 499 संक्रमित लोग थे, जो 20 अगस्त तक बढ़कर 52,000 से पार हो गए हैं। संक्रमण बढ़ने के अन्य कारणों के साथ-साथ राज्य के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी इसकी बड़ी वजह बताई जा रही है। विभाग ने संक्रमण फैलने वाले इलाकों को पहचानने में बड़ी चूक कर दी थी।
बीमारियों से लड़ने का अनुभव सरकार के काम आया
30 जनवरी को केरल में ही भारत का पहला कोरोना वायरस का मामला सामने आया था। इसके बाद केरल ने तेजी दिखाते हुए संक्रमण पर काबू पाने की कोशिश शुरू कर दी। राज्य सरकार के पास पहले से इबोला जैसे बीमारियों से जूझने का अनुभव था। इसका फायदा उठाते हुए पंचायत से लेकर जिला स्तर पर समय रहते उचित कदम उठाए गए। जनवरी से ही हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई। इससे संक्रमण कुछ हद तक काबू रहा।
विभाग ने कलस्टर को किया नजरअंदाज
जून के अंत में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एक पेपर में कहा गया था कि राज्य में स्थानीय स्तर पर संक्रमण नहीं फैल रहा है। कुछ जगहों पर बेहद थोड़े मामले हैं, जिन्हें संक्रमण की चेन से नहीं जोड़ा जा सकता। सिर्फ इतना ही नहीं विभाग ने कई जगहों पर बन रहे कलस्टर को भी नजरअंदाज किया। विभाग यह मानने को तैयार नहीं था कि मरीजों के बिना संपर्क वाले इलाकों में भी कलस्टर बन रहे हैं।
जुलाई में मुख्यमंत्री ने कही कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू होने की बात
इसके बाद जुलाई में राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास स्थित पुंथुरा से कोरोना संक्रमण की चेन शुरू हुई। यहां मामले इतने तेजी से बढ़ते चले गए कि कमांडो तैनात करने पड़े। खुद मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि तिरुवनंतपुरम जिले के पुंथुरा और दूसरे नजदीक के इलाकों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है। केरल को सावधान रहने की जरूरत है। जुलाई से अगस्त के बीच इस तटीय इलाके में लोकल ट्रांसमिशन के 1,500 से ज्यादा मामले सामने आए।
तिरुवनंतपुर और कासरगोड में तेजी से फैला संक्रमण
पुंथुरा से शुरू हुई कोरोना संक्रमण की चेन तिरुवनंतपुरम के लिए भारी पड़ी। मामले बढ़ने के साथ ही यहां आठ बड़े कलस्टर बन गए। संक्रमण फैलने की यही रफ्तार कासरगोड जिले में भी देखी गई।
रोजाना मिलने वाले अधिकतर मामले लोकस ट्रांसमिशन से जुड़े- सुल्फी
एक समय कोरोना संक्रमण पर काबू पाकर सराहना पाने वाले केरल में अब हालात खराब होते जा रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के केरल के उपाध्यक्ष डॉक्टर एन सुल्फी टाइम्स ऑफ इंडिया से कहते हैं कि यहां रोजाना मिलने वाले मामलों में से 90 प्रतिशत लोकल ट्रांसमिशन से जुड़े हुए होते हैं। अधिक जनसंख्या घनत्व वायरस के फैलने के लिए उपयुक्त है। वो कहते हैं कि केरल जैसे राज्य में संक्रमण पर नियंत्रण पाना काफी मुश्किल है।
अगले महीने और बढ़ सकती है संक्रमण की गंभीरता
इस बीच ऐसी कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही कि हालात जल्द नियंत्रण में होंगे। जानकारों का कहना है कि अगले महीने तक राज्य में रोजाना 5,000 से ज्यादा मरीज मिलने लगेंगे, जो हालात को और मुश्किल कर देंगे।
मरीज बढ़ रहे लेकिन मृत्यु दर सबसे कम
केरल में मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या के बीच राहत की बात यह है कि यहां मृत्यु दर देश में सबसे कम है। राज्य में अभी तक 191 मौतें हुई हैं, जो कुल मामलों का 0.3 प्रतिशत है। फिलहाल यहां 18,000 से ज्यादा सक्रिय मामलों में से केवल 157 मरीज इनटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में और 37 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। राज्य की रिकवरी रेट 65 प्रतिशत पर है जो लगातार सुधर रही है।
प्रदेश और देश में क्या हालात?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, केरल में कोरोना वायरस के 52,199 मामले हैं। इनमें से 18,184 सक्रिय हैं, 33,824 लोग महामारी को मात देकर ठीक हो चुके हैं और 191 की मौत हुई है। वहीं पूरे देश के बात करें तो संक्रमितों की संख्या 29 लाख से पार हो गई है। देश में कुल मामलों की संख्या 29,05,823 हो गई है, वहीं 54,849 लोगों को इस खतरनाक वायरस के संक्रमण के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।