चुनाव बाद सरकार बनाने के लिए विपक्ष की कवायद तेज, राहुल गांधी से मिले चंद्रबाबू नायडू
अभी लोकसभा चुनाव का दो चरण का मतदान बाकी है और इस बीच विपक्षी पार्टियों ने चुनाव परिणाम के बाद तमाम समीकरणों पर माथापच्ची करना शुरू कर दिया है। विपक्षी पार्टियां परिणाम के बाद सरकार बनाने की कवायद में अभी से लग गई हैं। खबर है कि परिणाम से दो दिन पहले 21 मई को विपक्षी पार्टियां एक बड़ी बैठक कर सकती हैं। इसी सिलसिले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की।
राहुल के बाद ममता बनर्जी से मिलेंगे नायडू
बुधवार सुबह दिल्ली में हुई इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने बैठक आयोजित करने की योजना पर चर्चा की। मुलाकात में इसके अलावा लोकसभा चुनाव के साथ हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत और VVPAT मुद्दे भी बात हुई। राहुल से मुलाकात के बाद नायडू पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के समर्थन में रैलियों में हिस्सा लेने के लिए निकल गए। वह यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात करेंगे।
गैर-भाजपा सरकार के लिए ममता बेहद महत्वपूर्ण
विपक्ष के बड़े नेताओं में शामिल ममता ने अपने राज्य में भाजपा को रोकने के लिए पूरी जान लगा रखी है। चुनाव परिणाम के बाद के समीकरणों में उनकी अहम भूमिका हो सकती है। इसलिए नायडू से उनकी मुलाकात को अहम माना जा रहा है।
चुनाव बाद राष्ट्रपति से मिल सकती हैं 21 विपक्षी पार्टियां
इससे पहले सुबह यह खबर आई थी कि 21 विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा चुनाव खत्म होते ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की योजना बनाई है। उनका एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर उनसे मांग करेगा कि अगर चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो वे सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न करें। उनका मानना है कि अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो भाजपा क्षेत्रीय दलों को तोड़ने का प्रयास करेगी।
समर्थन पत्र तैयार कर रहा विपक्ष
ये 21 विपक्षी पार्टियां एक समर्थन पत्र भी तैयार कर रही हैं। 23 मई को चुनाव परिणाम घोषित होते ही वो वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए राष्ट्रपति कोविंद को यह पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी।
चंद्रशेखर राव ने तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को दी हवा
वहीं, नायडू के चिर-प्रतिद्वंदी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मंगलवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मुलाकात करके गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा तीसरा मोर्चा बनने की संभावनाओं को हवा दी थी। विजयन ने इस मुलाकात को बेहद महत्तपूर्ण करार दिया था, लेकिन साथ ही कहा था कि वह चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि 1996 से 1998 के बीच ऐसे ही गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा फेडरल फ्रंट ने दो बार सरकार बनाई थी।
क्या कहता है लोकसभा का गणित?
लोकसभा में कुल 545 सीटें हैं, जिनमें से 543 सांसदों पर चुनाव होता है। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को इनमें से आधे से ज्यादा यानी 272 सीटों की जरूरत होती है। चुनाव परिणाम में जिस भी पार्टी या चुनाव पूर्व हुए गठबंधन को सबसे अधिक सीटें या बहुमत मिलता है, उसे राष्ट्रपति सरकार बनाने का न्यौता देते हैं। नई सरकार को इसके बाद एक तय समयसीमा के अंदर लोकसभा में अपना बहुमत साबित करना होता है।
क्या है विपक्ष की योजना?
विपक्षी पार्टियों की इस सारी कवायद से अनुमान लगाया जा रहा है कि वो मान कर चल रही हैं कि भाजपा भले ही बहुमत हासिल न कर पाए, लेकिन वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। ऐसे में वह सरकार बनाने के लिए विपक्षी पार्टियों में तोड़फोड़ करे, वो उससे पहले ही अपने सारे समीकरण सेट कर ले रही हैं, ताकि चुनाव के परिणाम के बाद वो सरकार बनाने का दावा पेश कर सकें।