निजी नौकरियों में आरक्षण के कानून पर रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हरियाणा सरकार
निजी नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण वाले कानून मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल, हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार के इस कानून पर रोक लगा दी थी। हरियाणा सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसे रद्द करने की मांग की है। सोमवार को इस मामले की सुनवाई हो सकती है। आइये पूरी खबर जानते हैं।
हाई कोर्ट ने बुधवार को लगाई थी रोक
बुधवार को फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और दूसरे संगठनों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी और जस्टिस पंकज जैन की बेंच ने राज्य सरकार के इस कानून पर रोक लगाई थी। हालांकि, कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी नहीं आया है। इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने कहा था कि यह संवैधानिक रूप से दुरुस्त कानून है और समीक्षा के बाद जल्द अगला कदम उठाया जाएगा।
सरकार की तरफ से क्या कहा गया है?
कानून पर रोक को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि महज 90 सेकंड की सुनवाई में यह फैसला आया है। इस दौरान हाई कोर्ट ने राज्य के वकील की दलीलों को नहीं सुना। यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। हाई कोर्ट का फैसला रद्द किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार की तरफ से दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा हाई कोर्ट ने 90 सेकंड सुनने के बाद ही फैसला दे दिया।
फैसले की कॉपी आई तो सोमवार को होगी सुनवाई
मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई हो। इस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा कि अगर फैसले की कॉपी आती है तो सोमवार को सुनवाई की जाएगी।
राजनीति हुई तेज, विपक्ष ने कसा तंज
हाई कोर्ट की तरफ से कानून पर रोक लगने के बाद हरियाणा की राजनीति गरम हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ट्विटर पर लिखा कि रोजगार के मोर्चे पर पूर्ण विफल हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार कोर्ट में अपने जुमले का भी बचाव नहीं कर पाई। बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा के युवा देश की लगभग 3.5 गुना ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं, सरकार इस हकीकत से नजरें चुरा रही है।
चौटाला बोले- अदालती प्रक्रिया सफलतापूर्वक पार करेगा कानून
हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विश्वास जताया है कि यह कानून हर अदालती प्रक्रिया को पार करेगा और स्थानीय युवाओं को रोजगार का अधिकार मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य में इस कानून को लागू करवाएगी। उद्योगपतियों की शंकाओं और दिक्कतों के लिए वैकल्पिक प्रावधान कानून में दिए गए हैं और यह पूरी तरह संवैधानिक रूप से दुरुस्त कानून है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि इस कानून को लेकर उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
इसी साल लागू हुआ है कानून
निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के लिए 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित रखने का कानून इसी साल 15 जनवरी से लागू हुआ है। निजी कंपनी, सोसायटी, ट्रस्ट और पार्टनरशिप फर्में इसके दायरे में आएंगी और यह कानून 30,000 रुपये मासिक वेतन वाली नौकरियों पर लागू होगा। यह कानून 10 साल तक प्रभावी रहना है। हालांकि, निजी कंपनियां इसका भारी विरोध कर रही थी और इसे योग्यता के सिद्धांत के खिलाफ बताया जा रहा था।