सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल में शामिल होना सेवा नियमों के खिलाफ- केरल हाई कोर्ट
केंद्रीय कर्मचारी संगठनों द्वारा सरकार की नीतियों के खिलाफ सोमवार से बुलाए गए दो दिन के भारत बंद में देशभर से सरकारी कर्मचारी और बैंककर्मी शामिल हुए। कई राज्यों में सड़क और रेल परिवहन को अवरुद्ध करने की घटनाएं भी सामने आई। केरल में हड़ताल के कारण अधिकतर संस्थान बंद रहे। इधर, केरल हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल में शामिल होना सेवा नियमों के खिलाफ है।
सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की थी जनहित याचिका
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रचूड़न नायर ने अधिवक्ता सजीत कुमार वी के जरिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर हड़ताल में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र के खिलाफ हड़ताल पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और उन्हें वेतन का भुगतान भी करेगी। हड़ताल से केरल ही नहीं, बल्कि और कई राज्यों में काम ठप पड़ गए हैं।
हाई कोर्ट ने हड़ताल में कर्मचारियों की भागीदारी को माना अवैध
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मणि कुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल में शामिल होना अवैध है और यह सेवा नियमों के खिलाफ है। हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारी वेतन पाने के भी हकदार नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को हड़ताल में शामिल होने से रोकने और इस संबंध में विस्तृत आदेश जारी करने के भी निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार ने की सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
केरल हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने कानून विभाग ने अभियोजन महानिदेशक से सलाह मांगी है। कहा जा रहा है कि अभियोजन महानिदेशक की सलाह के आधार पर सरकार हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है।
श्रमिक संगठन के नेता ने हाई कोर्ट के टिप्पणी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के नेता केपी राजेंद्रन ने मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट को केंद्र सरकार को निर्देश जारी करना चाहिए था न कि गरीब श्रमिकों को। इससे श्रमिकों का मनोबल टूटेगा। बता दें कि केरल में हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला है। राज्य सचिवालय में 4,824 कर्मचारियों में से केवल 32 ने ही कार्यालयों में पहुंचकर काम किया है।
केरल में दिखा हड़ताल का व्यापक असर
केरल में हड़ताल के चलते लगभग संस्थान बंद रहे। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) की बसें सड़कों से नदारत रहीं। टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और निजी बसें भी बहुत कम चलीं। राजधानी में एक मजिस्ट्रेट के वाहन को रोक दिया गया। बाद में कोर्ट ने पेट्टा थाना प्रभारी को तलब किया और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिए। पप्पनमकोड में तो अस्पताल जा रहे एक कैंसर रोगी को ऑटो-रिक्शा से उतरने पर मजबूर किया गया।
क्यों बुलाया गया है भारत बंद?
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार की कर्मचारी विरोधी, किसान विरोधी, जनता विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ ये भारत बंद बुलाया है। कोयला, स्टील, तेल, टेलीकॉम, डाक विभाग, तांबे और बीमा से जुड़े कर्मचारियों इस हड़ताल में शामिल हुए हैं। इसके अलावा रोडवेज, ट्रांसपोर्ट और बिजली कर्मचारियों ने भी इसमें शामिल होने का फैसला लिया है। रेलवे और रक्षा क्षेत्र के संगठनों के कई जगहों पर बंद का समर्थन करने की उम्मीद है।
बैंक कर्मचारी क्यों हुए हड़ताल में शामिल?
बैंक कर्मचारी सरकारी बैंकों के निजीकरण समेत अपने कई मुद्दों को लेकर इस हड़ताल में शामिल हुए हैं। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के अनुसार, बढ़ती बेरोजगारी, कम वेतन, सरकारी बैंकों के निजीकरण और बैंकिंग कानून संसोधन विधेयक आदि के विरोध में वे राष्ट्रीय हड़ताल में शामिल हुए हैं। भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (BEFI) और अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (AIBOA) ने भी हड़ताल में शामिल होने का ऐलान किया है।