एलोपैथी को 'बकवास विज्ञान' कहने से लेकर 'कोरोनिल' के समर्थन तक रामदेव के प्रमुख विवादित बयान
योग गुरु बाबा रामदेव के एलोपैथी को 'बकवास विज्ञान' बताने को लेकर विवाद गहराया हुआ है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने जहां इसका कड़ा विरोध किया है, वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने नाराजगी जताते हुए रामदेव से माफी मांगने को कहा था। इसके बाद रामदेव ने अपने बयान को वापस लेते हुए उस पर खेद जताया, लेकिन सोमवार को उन्होंने खुले पत्र के माध्यम से IMA से 25 सवाल करते हुए विवाद को फिर से हवा दे दी।
रामदेव ने एलोपैथी को करार दिया 'बकवास विज्ञान'
बता दें 21 मई को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में रामदेव ने एलोपैथी और चिकित्सकों को लेकर कई विवादित बयान दिए थे। वीडियो में रामदेव ने कहा था कि एलोपैथी 'बकवास विज्ञान' है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा अनुमोदित रेमेडिसिवीर और फेविफ्लू जैसी दवाइयां कोरोना मरीजों के उपचार में पूरी तरह विफल रही है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि लाखों मरीजों की मौत ऑक्सीजन की जगह एलोपैथिक दवाइयों से हुई है।
यहां देखें एलोपैथी पर रामदेव का विवादित बयान
"वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद हुई 1,000 डॉक्टरों की मौत"
वीडियो में रामदेव ने यह दावा किया कि भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ काम ली जा रही वैक्सीनों की दोनों खुराकें लेने के बाद भी 1,000 से अधिक डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। वीडियो में वह भीड़ को वायरस के खिलाफ फेफड़ों को मजबूत करने में योगाभ्यास के फायदों के बारे में सलाह देते भी नजर आ रहे हैं। वह खुद के दिव्यता और गरीमा के साथ बिना किसी डिग्री के डॉक्टर होने का भी दावा करते हैं।
यहां देखें डॉक्टरों की मौत को लेकर दिए गए बयान का वीडियो
ठीक से सांस नहीं ले पाते हैं कोरोना संक्रमित मरीज- रामदेव
वायरल हुए अन्य वीडियो में रामदेव ने ठीक से सांस नहीं ले पाने के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि मरीजों को सही तरह से सांस लेना ही नहीं आता है। वह सही तहर से सांस लेना सीखने की जगह ऑक्सीजन की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना मरीज अपनी सांस लेने की अकुशलता के लिए नकारात्मकता फैला रहे हैं और श्मशान स्थल तथा ऑक्सीजन की कमी की शिकायत करते हैं।
IMA ने रामदेव के बयान पर जताई कड़ी आपत्ति
वीडियो में बाबा रामदेव द्वारा एलोपैथी को लेकर दिए गए विवादित बयान पर IMA ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने की चेतावनी दी थी। इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री ने भी बयान की निंदा करते हुए रामदेव से माफी मांगने को कहा था। इस विवाद पर पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण ने कहा था कि रामदेव की "आधुनिक विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के अच्छे चिकित्सकों के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है।"
विवाद के बाद रामदेव ने वापस लिया अपना बयान
मामले में विवाद खड़ा होने पर रविवार को रामदेव ने ट्वीट करते हुए अपने बयान पर खेद जताया और उसे वापस लेने की बात कही। उन्होंने लिखा, 'मैं इस तथ्य का सम्मान करता हूं कि एलोपैथी डॉक्टरों ने दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली है। मैं कार्यक्रम में सदस्यों से प्राप्त व्हाट्सऐप मैसेज पढ़ रहा था। मुझे गलत तरीके से पेश किया गया है। अगर बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो माफी मांगता हूं।'
आयुर्वेद और योग नहीं कहना चाहिए 'झूठा विज्ञान'
अपनी माफी के दौरान रामदेव ने यह भी कहा कि वह एलोपैथी के डॉक्टारों का सम्मान करते हैं, लेकिन कुछ एलोपैथी डॉक्टरों को भी आयुर्वेद और योग को 'झूठा विज्ञान' बताकर उनका अपमान नहीं करना चाहिए। यह पूरी तरह से गलत है।
रामदेव ने एलोपैथी को लेकर IMA से पूछे 25 सवाल
माफी मांगने के एक दिन बाद ही रामदेव ने टि्वटर पर IMA को एक खुला पत्र लिखकर एलोपैथी से जुड़े 25 सवालों के जवाब मांग लिए। उन्होंने पत्र में लिखा कि यदि एलोपैथी सर्व शक्तिशाली और सर्वगुण संपन्न है तो फिर डॉक्टरों को बीमार नहीं पड़ना चाहिए। इस पर IMA के महासचिव जयेश लेले ने कहा कि वह बाबा रामदेव के 25 सवालों का दस्तावेजों के साथ आवश्यक रूप से जवाब देंगे। उनकी टीम इस पर काम कर रही है।
यहां देखें रामदेव के 25 सवाल
रामदेव ने पतंजलि की 'कोरोनिल' को बताया कोरोना वायरस का उपचार
इससे पहले रामदेव ने हरिद्वार स्थित पतंजलि के दिव्य प्रकाशन पतंजलि अनुसंधान संस्थान में विकसित 'कोरोनिल' टैबलेट को कोरोना महामारी का उपचार करार दिया था। उन्होंने दावा किया था कि कोरोनिल से सात दिनों में कोरोना का उपचार हो सकता है। गत 19 फरवरी को कोरोनिल के लॉन्चिंग कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल थे। इस पर IMA ने कड़ी आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनका ऐसा करना नियमों के खिलाफ है।
रामदेव ने किया था कोरोनिल को WHO से मान्यता मिलने का दावा
कोरोनिल की लॉन्चिंग पर रामदेव ने दावा किया था कि सरकार ने पूरे वैज्ञानिक अनुसंधान साक्ष्य पूरे करने के बाद कोरोनिल को मंजूरी दे री है। इसी तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसे मान्यता दी है। हालांकि, एक दिन बाद ही WHO ने ट्वीट कर स्पष्ट कर दिया था कि उसने कोरोना के उपचार के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की समीक्षा या उसे प्रमाणित नहीं किया है। इसके बाद IMA ने स्वास्थ्य मंत्री से स्पष्टीकरण मांगा था।
हरियाणा सरकार ने किया एक लाख 'कोरोनिल किट' वितरित करने का फैसला
इस विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने राज्य में एक लाख 'कोरोनिल किट' मुफ्त वितरित करने का निर्णय किया है। किट की लागत हरियाणा सरकार और पतंजलि 50-50 प्रतिशत वहन करेगी। इसमें कोरोनिल टैबलेट, स्वरसारी वटी और अनु तैला दी जाएगी।