कोरोना संकट: मेडिकल ऑक्सीजन की खपत घटी, लेकिन मांग अब भी ज्यादा
देश में लगभग एक महीने बाद मेडिकल ऑक्सीजन की खपत में कमी देखी जा रही है। इससे उम्मीद जगने लगी है कि जल्द ही देश में ऑक्सीजन संकट का भी समाधान हो जाएगा। हालांकि, इसकी मांग अभी भी महामारी की पहली लहर की पीक के तुलना में ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। एक अधिकारी ने बताया कि मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 8,900 मीट्रिक टन प्रतिदिन से घटकर 8,000 मीट्रिक टन रह गई है।
मार्च के बाद से बढ़ने लगी थी खपत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दूसरी लहर की पीक के समय मेडिकल ऑक्सीजन की खपत लगभग 9,000 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी। 9 मई को यह 8,944 मीट्रिक टन थी, जो 18-19 मई को घटकर 8,100 मीट्रिक टन पर आ गई। 20 मई को खपत में मामली वृद्धि देखी गई, लेकिन पिछले 72 घंटों से यह कम हो रही है। गौरतलब है कि मार्च के बाद से ही लगातार ऑक्सीजन की मांग में बढ़ोतरी होती गई थी।
पहली लहर के दौरान कितनी खपत थी?
पिछले साल सितंबर में महामारी की पहली लहर अपने चरम पर पहुंची थी। उस समय 29 मई को देश में 3,095 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, जो तब तक का सर्वाधिक स्तर था। उसके बाद मार्च तक यह इसकी मांग कम होती गई और 31 मार्च को सिर्फ 1,559 मीट्रिक टन की खपत हुई। इसके बाद संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी और ऑक्सीजन की मांग में भी कई गुना बढ़ोतरी हो गई।
मई में अधिक राज्यों ने की ऑक्सीजन की मांग
अप्रैल के अंत में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 8,000 मीट्रिक टन के आंकड़े को पार कर गई और लगातार बढ़ती गई। इस बीच ऑक्सीजन की मांग करने वाले राज्यों की संख्या में भी इजाफा होता गया। 9 मई को पीक पर पहुंचने के बाद से इसकी मांग कम होती गई और 14 मई को यह 8,400 मीट्रिक टन से कम हो गई। हालांकि, 17 मई को यह फिर 8,900 के स्तर पर पहुंची, लेकिन बाद में कम होने लगी।
मामलों में गिरावट के बावजूद खपत में तेजी
यह बात ध्यान देने वाली है कि दैनिक मामलों में बड़ी गिरावट के बाद भी मेडिकल ऑक्सीजन की खपत 8,000 मीट्रिक टन के आसपास बनी हुई है। दूसरी तरफ सक्रिय मामले भी 37 लाख से कम होकर 30 लाख से नीचे आ गए हैं।
ऑक्सीजन की कमी से हुई थी कई मौेतें
महामारी की दूसरी लहर में तेजी से मामले बढ़ने के कारण देश में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई थी। हालात यहां तक खराब हो गए थे कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी और उनकी मौत हो गई। कई अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों को भर्ती करने से बंद कर दिया था। बाजार में भी लोगों को मुहमांगी कीमत देने के बावजूद सिलेंडर नहीं मिल रहे थे।