उत्तराखंड में वन विभाग की राशि से आईफोन-लैपटॉप खरीदे, CAG रिपोर्ट में खुलासा
क्या है खबर?
उत्तराखंड में केंद्रीय ऑडिट में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है। यहां वन संरक्षण के लिए निर्धारित राशि से आईफोन और लैपटॉप जैसे सामान खरीदे गए।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की वित्तीय वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट को उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 21 फरवरी को सदन में पेश किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राशि का इस्तेमाल बिना अनुमति के किया गया था।
सामान
राशि से कूलर-फ्रीज भी खरीदे गए
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रमिक कल्याण बोर्ड ने 2017 से 2021 के बीच सरकार की अनुमति के बिना 607 करोड़ रुपये खर्च किए।
इसके अलावा वन भूमि हस्तांतरण के नियमों का भी उल्लंघन किया गया।
जांच में पता चला कि प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) से मिले करीब 14 करोड़ रुपये को आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर खरीदने और भवनों के नवीनीकरण और अदालती मामलों के भुगतान जैसे कामों में खर्च किया गया।
अन्य खुलासे
रिपोर्ट में ये खुलासे भी हुए
रिपोर्ट के मुताबिक, CAMPA फंड का इस्तेमाल एक साल के भीतर करना होता है, लेकिन 37 मामलों में इस फंड का इस्तेमाल करने में 8 साल लगा दिए गए।
जमीनों का चयन भी गलत तरीके से किया गया और वन भूमि हस्तांतरण नियमों की भी अनदेखी की गई।
केंद्र ने सड़क, बिजली, पानी और रेलवे लाइन के लिए औपचारिक सहमति दी थी। इसके बावजूद प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) की अनुमति जरूरी है, जो 52 मामलों में नहीं ली गई।
दवाएं
सरकारी अस्पतालों में मिलीं एक्सपायर दवाएं- रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 3 सरकारी अस्पतालों में 34 एक्सपायर दवाईयां थीं। इनमें से कुछ दवाइयां तो 2 साल पहले ही एक्सपायर हो गई थीं।
इसके अलावा रिपोर्ट में डॉक्टरों की कमी पर भी चिंता जताई गई है। उत्तराखंड में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।
पहाड़ी इलाकों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 70 प्रतिशत और मैदानी इलाकों में 50 प्रतिशत पद खाली हैं।
लॉकडाउन का उल्लंघन करने के बावजूद 250 डॉक्टर काम पर बने हुए हैं।
वृक्षारोपण
रिपोर्ट में वृक्षारोपण को लेकर भी खुलासे
रिपोर्ट में वृक्षारोपण को लेकर कहा गया है कि 2017 से 2022 तक जो वृक्षारोपण किया गया, उसमें से सिर्फ 33 प्रतिशत वृक्ष ही जीवित रह पाए, जो वन अनुसंधान संस्थान द्वारा निर्धारित 60 से 65 प्रतिशत की मानकों से काफी कम है।
रिपोर्ट सामने आने के बाद उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि वे अपने विभाग से संबंधित मामले की जांच के आदेश दे चुके हैं।