
विदेश सचिव ने संसदीय समिति से कहा- भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में नहीं थी अमेरिका की भूमिका
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को एक संसदीय समिति को पूरी जानकारी दी।
रिपोर्ट के अनुसार, मिस्री ने समिति को स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं थी और पाकिस्तान ने परमाणु हमले का भी कोई संकेत नहीं दिया था।
सवाल
संसदीय समिति ने पूछे तीखे सवाल?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश मामलों पर स्थायी संसदीय समिति ने एक सदस्य ने पूछा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से 7 बार दावा किया कि उन्होंने संघर्ष विराम में मदद की। इसके बाद भी भारत चुप क्यों रहा?
दूसरे सदस्य ने स्पष्ट रूप से सवाल किया कि भारत ने ट्रंप को बार-बार इस कथानक पर कब्जा करने की अनुमति क्यों दी, खासकर तब जब वह अपने बयानों में कश्मीर का जिक्र करते रहे।
खंडन
मिस्री ने किया सभी प्रकार के दावों का खंडन
संसदीय समिति के सवालों पर मिस्री ने सभी दावों का खंडन करते हुए कहा, "भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम एक द्विपक्षीय निर्णय था जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भागीदारी नहीं थी। संघर्ष विराम समझौते में अमेरिका की कोई भी भूमिका नहीं थी।"
उन्होंने कहा, "ट्रंप ने संघर्ष विराम के बीच में आने के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं ली थी, वो इसके बीच में आना चाहते थे, इसलिए आ गए। इसमें भारत की कोई भूमिका नहीं है।"
परमाणु
पाकिस्तान की ओर से नहीं मिले परमाणु हमले के संकेत
मिस्री ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष पारंपरिक युद्ध की सीमा के भीतर ही है और पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार के परमाणु हमले या इस्तेमाल करने की कोई धमकी नहीं मिली है।
उन्होंने बताया कि दोनों देशों के सैन्य संचालनों के महानिदेशकों (DGMO) के बीच 10 मई को सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी थी। उसके बाद से ही दोनों देशों ने सीमा पर गोलीबारी बंद करने का निर्णय किया है।
हथियार
पाकिस्तान के चीनी हथियारों का इस्तेमाल करने पर क्या बोले विदेश सचिव?
संसदीय समिति के पाकिस्तान द्वारा चीनी सैन्य हथियार और हार्डवेयर के उपयोग पर चिंता जताने पर मिस्री ने कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने क्या इस्तेमाल किया। महत्वपूर्ण यह है कि हमने उनके सभी हमलों को विफल किया और उनके एयरबेसों पर जोरदार हमला किया।"
संघर्ष के दौरान भारतीय वायुसेना के विमानों को हुए नुकसान के सवाल पर मिस्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सफाई
विदेश मंत्री के बयान पर उपजे विवाद पर भी दिया स्पष्टीकरण
विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से 'ऑपरेशन सिंदूर' की सूचना पाकिस्तान को पहले से देने के बयान पर उठे विवाद को लेकर भी मिस्री ने स्पष्टीकरण दिया।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के शब्दों को गलत न समझें। उन्होंने कहा था कि नई दिल्ली ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के पहले चरण के बाद पाकिस्तान को सूचित किया था कि केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया था।
संबंध
तुर्की से संबंधों पर क्या बोले विदेश सचिव?
तुर्की से संबंधों पर मिस्री ने कहा, "हमारे तुर्की से कभी बुरे रिश्ते नहीं रहे, लेकिन हम कभी करीबी साझेदार भी नहीं रहे। तुर्की के साथ किसी भी संघर्ष में व्यापार का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।"
इस दौरान समिति ने सोमवार को मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की कड़ी निंदा करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। समिति ने इस साइबर हमले को अस्वीकार्य और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।
जानकारी
बैठक में कौन-कौन शामिल रहा?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में हुई संसदीय समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल सहित कई नेताओं ने भाग लिया।