विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिकी निर्वासन पर राज्यसभा में बोले- बर्ताव और निर्वासन पहली बार नहीं
क्या है खबर?
अमेरिका से निर्वासित अवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि निर्वासन की यह कार्रवाई पहली बार नहीं हुई है, इससे पहले भी जो लोग गैर-कानूनी तरीके से दूसरे देशों में रहते थे, उन्हें उनके देश भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि गतिशीलता और प्रवास किसी भी देश के विकास में जरूरी हैं और भारत कानूनी गतिशीलता को बढ़ावा देता है और अवैध प्रवास को स्वीकार नहीं करता।
आंकड़े
जयशंकर ने बताया, कब-कब हुआ निर्वासन
जयशंकर ने सदन में बताया कि अमेरिका से निर्वासन का क्रम 2009 से जारी है।
वर्ष 2009 में 734, 2010 में 799, 2011 में 597, 2012 में 530, 2013 में 550, 2014 में 591, 2015 में 708, 2016 में 1,303, 2017 में 1,024, 2018 में 1,180, 2019 में 2,042, 2020 में 1,889, 2021 में 805, 2022 में 862, 2023 में 670, 2024 में 1,368 और 2025 में अब तक 104 लोग निर्वासित हुएं।
बयान
भारत करेगा एजेंटों और एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि अवैध प्रवास कई गैर-कानूनी गतिविधियों को बढ़ाता है, कानूनी गतिशीलता को प्रोत्साहित करना और अवैध आवागमन को हतोत्साहित करना हमारे सामूहिक हित में है।
उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित कर रहा है कि निर्वासितों के साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार न हो और हमारा ध्यान अवैध आव्रजन उद्योग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि निर्वासितों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कानून प्रवर्तन एजेंसियां एजेंटों-एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगी।
प्रक्रिया
2012 से सैन्य विमान से प्रवासियों को भेजने की व्यवस्था
जयशंकर ने बताया कि वर्ष 2012 से सैन्य विमान से प्रवासियों को निर्वासित करने की व्यवस्था शुरू हुई है, इसमें कुछ भी नया नहीं है। हर देश राष्ट्रीयता की जांच करते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय अमेरिका में फंसे थे, उन्हें वापस लेकर आना ही था। उन्होंने हथकड़ी विवाद पर कहा कि यह नीति किसी एक देश पर लागू नहीं होती, यह सभी के लिए है।
उन्होंने बताया कि महिलाओं और बच्चों को प्रतिबंधों में नहीं लाया गया था।
विवाद
क्या है निर्वासन को लेकर विवाद?
अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आव्रजन नीति के तहत अमेरिका में बिना दस्तावेजों के रह रहे प्रवासियों को उनके देश भेजने का फैसला लिया है।
इसी के तहत 104 भारतीयों को बुधवार को सैन्य विमान से अमृतसर लाया गया। प्रवासी भारतीयों ने बताया कि उनके साथ कैदियों जैसा व्यवहार हुआ और विमान में हाथ-पैर में हथकड़ी बधी थी।
इसे लेकर विपक्षी सांसद केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने संसद परिसर में हथकड़ी बांधकर प्रदर्शन किया।