विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों पर दिया बयान, कहा- कुछ सुधार की संभावना है
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत-चीन समझौते के बाद शांति बहाली पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया। उन्होंने कहा, "मैं सदन को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में हाल के कुछ घटनाक्रमों और हमारे समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर उनके प्रभावों से अवगत कराने के लिए खड़ा हूं। सदन को पता है कि 2020 से हमारे संबंध असामान्य रहे हैं, जब चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द भंग हुआ था।"
आगे क्या बोले विदेश मंत्री?
जयशंकर ने कहा, "हाल के घटनाक्रम ने हमारे संबंधों को कुछ सुधार की दिशा में स्थापित किया है, जो हमारे निरंतर राजनयिक जुड़ाव को दर्शाते हैं। सदन अवगत है कि 1962 के संघर्ष और उससे पहले की घटना के परिणामस्वरूप चीन अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रहा है। इसके अलावा, पाकिस्तान ने 1963 में अवैध रूप से 5,180 वर्ग किमी भारतीय क्षेत्र चीन को सौंप दिया, जो 1948 से उसके कब्जे में है।"
विदेश मंत्री ने 3 सिद्धांतों पर प्रकाश डाला
विदेश मंत्री ने संसद को बताया कि हालिया अनुभवों को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रबंधन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने सभी परिस्थितियों में पालन किए जाने वाले 3 सिद्धांत भी बताए। जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों को LAC का सख्ती से सम्मान और पालन करना चाहिए, किसी भी पक्ष को यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं करनी चाहिए और अतीत में हुए समझौतों का भी निष्ठा से पालन करना चाहिए।
मंत्री ने अजीत में हुए समझौतों की जानकारी दी
जयशंकर ने कहा कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई, जिसमें न केवल 45 वर्षों में पहली बार मौतें हुई थीं, बल्कि LAC के करीब भारी हथियारों को तैनात करना पड़ा। मंत्री ने अतीत में भारत-चीन के बीच हुए समझौतों को बताते हुए कहा कि सीमा रक्षा सहयोग पर सहमति बनाने के लिए 1991, 1993, 1996, 2003, 2005, 2012 और 2013 में हस्ताक्षरित समझौते हुए थे, जिसका उद्देश्य शांति और स्थिरता कायम करना था।
BRICS सम्मेलन में मुलाकात के बाद शांति की वार्ता आगे बढ़ी
अक्टूबर में रूस के कजान शहर में 16वें BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 5 साल में पहली बार औपचारिक द्विपक्षीय बैठक हुई थी। यह बैठक तब हुई, जब दोनों देश पूर्वी लद्दाख में LAC पर गश्त के लिए एक समझौते पर सहमत हुए थे। दोनों देशों ने आपसी सहयोग की बात कही थी। इसके बाद डेमचोक और देपसांग में चीन-भारत ने अस्थायी तंबू नष्ट किए थे और मिठाई बांटी थी।
2020 में बिगड़े थे संबंध
भारत और चीन के बीच अप्रैल, 2020 से LAC पर तनाव बना हुआ है। तब चीन ने पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ कर दी थी। उसकी इस हरकत के बाद गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों में दोनों सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं और 15 जून, 2020 को गलवान में तनाव हिंसा में बदल गया। इस खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए तो कई चीनी सैनिकों भी मारे गए।