कृषि कानून: गतिरोध बरकरार, गुरुवार को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे किसान
केंद्र सरकार के साथ बातचीत असफल रहने के एक दिन बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वो 7 जनवरी को ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफरल एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे। यह 26 जनवरी को दिल्ली में होने वाली ट्रैक्टर परेड का अभ्यास होगा। बीते सप्ताह संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वो 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे।
4 जनवरी की वार्ता में भी नहीं निकला हल
तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे लगभग 40 किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच 4 जनवरी को सातवें दौर की औपचारिक बैठक हुई थी। किसानों ने बैठक में तीनों कानून रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग की, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हुई। सरकार कानूनों में बदलाव और MSP पर लिखित आश्वासन देने को तैयार है, लेकिन किसानों को यह मंजूर नहीं है।
सिंघु, टिकरी, गाजीपुर और रिवासन से मार्च करेंगे ट्रैक्टर- यादव
मंगलवार शाम मीडिया को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार द्वारा तीनों कानून रद्द करने की मांग ठुकराने के साथ ही सातवें दौर की बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई। अब किसान 7 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। उन्होंने कहा कि ये ट्रैक्टर सिंघु, टिकर, गाजीपुर और रिवासन से ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफरल एक्सप्रेसवे के लिए चलेंगे और रास्ते में मिलेंगे। इसे 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड का अभ्यास माना जा सकता है।
किसानों से अपने-अपने इलाको में ट्रैक्टर मार्च निकालने की अपील
इसके अलावा किसान नेताओं ने हरियाणा के दूसरे हिस्सों में रहने वाले किसानों से अपने इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकालने का आह्वान किया है। हालांकि, ऐसे भी संकेत हैं कि कई जिलों से किसान ट्रैक्टर मार्च में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली जा सकते हैं।
हरियाणा के हर गांव के लोगों से दिल्ली पहुंचने की अपील
किसान संगठनों ने अब देशभर में जागृति अभियान चलाने का फैसला किया है। इसके तहत ट्रैक्टर रैलियों और जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को किसानों की मांगों के बारे में बताया जाएगा। हरियाणा में किसान संगठन हर गांव में जाकर वहां के लोगों से 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने की अपील करेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि वो हर परिवार से एक ट्रैक्टर और महिलाओं को 26 जनवरी की रैली के लिए दिल्ली भेजने की अपील करेंगे।
'खाली हाथ' दिल्ली से जाने को तैयार नहीं किसान
किसान नेताओं का कहना है कि वो 'खाली हाथ' दिल्ली से वापस जाने को तैयार नहीं है क्योंकि यह उनके अस्तित्व का सवाल है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, किसान नेता सुरेश कौथ ने कहा, "कॉर्पोरेट के हमारी जमीन पर कब्जा करने के बाद घर पर आत्महत्या करने की बजाय हम संघर्ष करेंगे। हमने पहले ही सरकार को बता दिया है कि या तो हमें गोली मार दो या तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेकर हमें जीने दो।"
8 जनवरी को अगले दौर की वार्ता
कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का समाधान निकालने के लिए किसानों और केंद्र सरकार के बीच 8 जनवरी को अगली वार्ता होगी। यह दोनों पक्षों के बीच आठवीं औपचारिक बैठक होगी।
क्या है किसानों के विरोध की वजह?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।