सिंघु बॉर्डर पर पेड़ से लटका मिला आंदोलनकारी किसान का शव, आत्महत्या की आशंका
क्या है खबर?
बुधवार को दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर एक आंदोलनकारी किसान का शव पेड़ से लटका मिला। मृतक की पहचान पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के निवासी गुरप्रीत सिंह के तौर पर हुई है।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। अभी तक उनकी मौत का कारण पता नहीं चल पाया है और पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों एंगल से मामले की जांच कर रही है।
मामला
भारतीय किसान यूनियन सिद्धपुर की तरफ से आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे गुरप्रीत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 45 वर्षीय गुरप्रीत सिंह फतेहगढ़ के रुड़की गांव के रहने वाले थे और भारतीय किसान यूनियन (BKU) सिद्धपुर की तरफ से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हिस्सा ले रहे थे।
पुलिस को बुधवार सुबह उनका शव हुड्डा सेक्टर 63/64 अंसल सुशांत सिटी स्थित पार्कर मॉल के पास एक नीम के पेड़ से लटका मिला। वे यहां अपने गांव की एक ट्रॉली में रह रहे थे और उन्होंने रस्सी से फांसी लगाई।
आत्महत्या
आंदोलन के दौरान कई किसान कर चुके हैं आत्महत्या
बता दें कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 7 मार्च को हिसार के सिसाय गांव निवासी राजबीर सिंह (49) ने टिकरी बॉर्डर के पास एक पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
इसी तरह जींद निवासी करमवीर सिंह ने 6 फरवरी को टिकरी बॉर्डर पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
वहीं उत्तर प्रदेश के कश्मीर सिंह लाडी ने 2 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर आत्महत्या कर ली थी।
अन्य मामले
पिछले साल भी कई किसानों ने की थी आत्महत्या
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी राम सिंह नामक एक 65 वर्षीय सिख संत ने सिंघू बॉर्डर के पास खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इसके कुछ दिन बाद एक 22 वर्षीय किसान ने भी बठिंडा में प्रदर्शन से लौटने के बाद आत्महत्या कर ली।
इसके अलावा आंदोलन में शामिल पंजाब के एक वकील और एक शिक्षक भी जहर खाकर टिकरी बॉर्डर पर आत्महत्या कर चुके हैं।
किसान आंदोलन
25 नवंबर को आंदोलन को हो रहा है एक साल
गौरतलब है कि किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली के आसपास धरने पर बैठे हुए हैं और 25 नवंबर को उनके आंदोलन को एक साल पूरा हो रहा है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को कानूनों को वापस लेने के लिए 26 नवंबर तक का समय दिया है, नहीं तो आंदोलन में तेजी लाई जाएगी।
26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों की भीड़ बढ़ने लगेगी और सभी राज्यों से किसानों को यहां लाया जाएगा।
संसद मार्च
29 नवंबर से रोजाना 'संसद मार्च' भी करेंगे किसान
संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान 'संसद' मार्च निकालने का फैसला भी लिया है।
मोर्चा के अनुसार, सत्र का समापन होने तक रोजाना 500 चयनित किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में शांतिपूर्ण तरीके से संसद जाएंगे और अड़ियल, असंवेदनशील, लोक-विरोधी और कारपोरेट-समर्थक भाजपा सरकार पर दबाव बनाएंगे।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें कहीं रोका गया तो वो वहीं धरने पर बैठ जाएंगे।