कोरोना वायरस: सरकार की प्रतिक्रिया पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल, कहा- कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ शुरू
देश में दो महीनों से भी ज्यादा समय से जारी लॉकडाउन की पाबंदियों में धीरे-धीरे छूट दी जा रही है। सरकार हालात नियंत्रण में बता रही है, लेकिन देश के कुछ जाने-माने जन स्वास्थ्य और सामुदायिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस (COVID-19) को संभालने के सरकार के तरीके की आलोचना की है। इनका कहना है कि सरकार कोरोना वायरस का सही तरीके सामना नहीं कर रही है और फैसले लेने में महामारी विशेषज्ञों का शामिल नहीं किया जा रहा।
देश के कई इलाकों में सामुदायिक प्रसार शुरू- विशेषज्ञ
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडिमियोलॉजिस्ट ने संयुक्त बयान जारी कर कहा, "यह उम्मीद करना बेमानी है कि इस चरण में कोरोना वायरस महामारी को दूर किया जा सकता है। देश के कई बड़े इलाकों और जनसंख्या के भाग में संक्रमण का सामुदायिक प्रसार (कम्युनिटी ट्रांसमिशन) शुरू हो गया है।" बयान जारी करने वालों में ICMR द्वारा बनाए गए COVID-19 रिसर्च ग्रुप के दो सदस्य भी शामिल हैं।
सरकार कर रही सामुदायिक प्रसार से इनकार
विशेषज्ञ जहां कई इलाकों में कोरोना वायरस के सामुदायिक प्रसार की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार इससे इनकार कर रही है। देश में कोरोना वायरस के मामले 1.7 लाख से ज्यादा होने के बावजूद सरकार कह रही है कि अभी तक सामुदायिक प्रसार शुरू नहीं हुआ है। देश के कई हिस्सों में तेजी से मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि, राहत की बात यह है कि देश में सक्रिय मामलों की संख्या शनिवार को पहली बार कम हुई।
लॉकडाउन के लिए नहीं ली गई महामारी विशेषज्ञों की सलाह- बयान
विशेषज्ञों की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि देश में 25 मार्च से 30 मई तक सबसे ज्यादा पाबंदियों वाला लॉकडाउन जारी रहा, इसके बावजूद संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ। सरकार ने लॉकडाउन एक प्रभावी संस्थान के अनुमानों को आधार बनाकर लागू किया, जिसके कई अनुमान गलत साबित हुए। अगर सरकार इसमें संक्रामक बीमारियों की जानकारी रखने वाले महामारी विशेषज्ञों की मदद लेती तो यह ज्यादा कारगर साबित हो सकता था।
बयान जारी करने वालों में ICMR रिसर्च ग्रुप के सदस्य
इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में दिल्ली स्थित AIIMS के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉक्टर शशि कांत और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर डीसीएस रेड्डी शामिल हैं। ये दोनों ICMR द्वारा बनाए गए COVID-19 महामारी और सर्विलांस ग्रुप के सदस्य हैं। डॉक्टर रेड्डी 6 अप्रैल को बनाए गए इस ग्रुप के प्रमुख हैं। बयान पर इनके अलावा AIIMS के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के कई और डॉक्टरों के भी हस्ताक्षर हैं।
प्रवासी मजदूरों के पलायन से बढ़ी चुनौती
बयान में यह भी कहा गया है कि सरकार प्रवासी मजूदरों के मामलों को भी ठीक ढंग से संभाल नहीं पाई। इन मजूदरों के पलायन के कारण संक्रमण पर रोक लगाने में नई चुनौती खड़ी हो गई है।