भारत और चीन के बीच फिर बढ़ा तनाव, जानिए कहां और क्यों आती है यह स्थिति
क्या है खबर?
भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है।
गत दिनों लद्दाख स्थित लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच झड़प होने के बाद तनाव बढ़ गया था और अब गलवान नदी तथा लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास दोनों तनाव बढ़ा है।
दोनों देशों के बीच पिछले छह दशक से टकराव हो रहा है।
आइए जानते हैं आखिर कहां और क्यों होता है टकराव।
मौजूदा स्थिति
दोनों देशों की सेनाओं के बीच मौजूदा टकराव की यह है स्थिति
वर्तमान में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गलवान नदी और लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के आस-पास के क्षेत्र को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है।
भारत का कहना है कि गत दिनों अक्साई चीन में स्थिति गालवन घाटी के किनारे चीनी सेना के कुछ टेंट देखे गए थे। उसके बाद भारत ने भी वहां फौज की तैनाती बढ़ा दी।
वहीं, चीन का आरोप है कि भारत गालवन घाटी के पास रक्षा संबंधी गैर-कानूनी निर्माण कर रहा है।
बयान
मौजूदा विवाद पर विदेश मंत्रालय ने यह दिया बयान
मौजूदा विवाद पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "भारतीय सैनिक सीमा क्षेत्र से भली-भांति परिचित हैं, बल्कि चीनी सैनिकों ने भारतीय सेना के जवानों द्वारा की जा रही गश्त में बाधा डालने की कोशिश की है, जिससे ये परेशानी खड़ी हुई।"
अक्साई चीन
अक्साई चीन को लेकर 1662 से चला आ रहा है दोनों देशों के बीच विवाद
भारत-चीन के बीच सबसे बड़ा कारण अक्साई चीन है। भारत इस पर अपना दावा करता है और वर्तमान में यह चीन के नियंत्रण में है।
1962 के युद्ध में चीन ने इस पर कब्जा कर लिया था। वहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है।
वह तिब्बत और अरुणाचल के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता है। उसका कहना है कि समझौते के समय वह मौजूद नहीं थी।
जानकारी
तिब्बत को आजाद मुल्क नहीं मानता है चीन
बता दें साल 1914 में तिब्बत चीन से अलग होकर स्वतंत्र देश बन गया था और ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने मैकमोहन रेखा समझौता किया था, लेकिन चीन तिब्बत को स्वतंत्र नहीं मानता और अक्साई चीन पर भारत का दावा खारिज करता है।
LAC
LAC को लेकर भी बना रहता है दोनों देशों में विवाद
अक्साई चीन को लेकर होने वाले विवाद के कारण दोनों देशों के बीच कभी सीमा निर्धारण नहीं हो सका। यथास्थिति बनाए रखने के लिए LAC टर्म का इस्तेमाल किया जाने लगा। हालांकि, अभी यह भी स्पष्ट नहीं है।
दोनों देश अपनी अलग-अलग LAC बताते हैं। इस LAC पर कई ग्लेशियर, बर्फ के रेगिस्तान, पहाड़ और नदियां पड़ती हैं।
LAC के साथ लगने वाले कई ऐसे इलाके हैं जहां अक्सर भारत और चीन के सैनिकों के बीच तनाव होता रहता है।
पैंगोंग त्सो झील
पैंगोंग त्सो झील के कारण भी होता रहता है दोनों सेनाओं में तनाव
हिमालय में करीब 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील भी दोनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख कारण है।
इसी झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में और 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है। LAC भी इस झील के बीच से गुजरती है। ऐसे में दोनों में इस पर अधिकार को लेकर विवाद है।
कहा जाता है कि पश्चिमी सेक्टर में चीन द्वारा सबसे अधिक अतिक्रमण इसी झील के आस-पास किए जाते हैं।
गालवन घाटी
निर्माण को लेकर गालवन घाटी पर होता है विवाद
गालवन घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चीन में है। यहां पर LAC अक्साई चीन को भारत से अलग करती है और यह चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है।
LAC के समझौते को लेकर चीन घाटी में भारत के निर्माण को गैरकानूनी बताता है।
चीन पहले ही यहां सैन्य निर्माण कर चुका है और अब वो मौजूदा स्थिति बनाए रखने की बात करता है।
अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारत भी यहां निर्माण करना चाहता है।
डोकलाम
चीन के सड़क निर्माण को रोकने पर हुआ था विवाद
2017 में ही बहुचर्चित डोकमाम विवाद हुआ था। डोकलाम भारत, चीन और भूटान की सीमा पर स्थित इलाका है। यहां अगस्त 2017 में चीन ने अवैध निर्माण कार्य शुरु किए थे।
उसका मकसद भूटान के अंदर तक सड़क बनाने का था, ताकि भारत पर लगातार नजर रखी जा सके।
यह चीनी कॉरिडोर सिलीगुड़ी की तरफ जाता है और इसके जरिए चीन उत्तर-पूर्व भारत पर बुरी नजर डाल सकता है। 72 दिनों के बाद दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी थीं।
तवांग
तवांग इलाके पर हमेशा रही है चीन की निगाहें
चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर हमेशा से ही तिब्बत का हिस्सा मानता है। वह इसे अपने साथ लेकर तिब्बत की तरह ही प्रमुख बौद्ध स्थलों पर अपनी पकड़ बनाना चाहता है।
दरअसल 1914 में हुए समझौते के दौरान अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से तवांग को भारत का हिस्सा माना लिया गया था।
इसके बाद 1962 में चीन ने तवांग पर कब्जा कर लिया था, लेकिन अरुणाचल को लेकर भौगोलिक स्थिति भारत के पक्ष में होने पर पीछे हट गया।
नाथूला
सिक्किम के नाथूला दर्रे को लेकर भी है विवाद
नाथूला दर्रा सिक्किम और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। भारत की ओर से यह दर्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक से करीब 54 किमी पूर्व में है।
14,200 फीट ऊंचाई पर स्थित नाथूला से कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा के लिए भारतीयों का जत्था गुजरता है।
1962 के युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया था, लेकिन 1980 में आपसी वार्ता के बाद खोल दिया था। हालांकि, गत दिनों यहां भी दोनों सेनाओं के जवानों में झड़प हुई थी।