महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण विधेयक विधानसभा से पारित, जानें अहम प्रावधान और इसका इतिहास
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर मंगलवार से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सदन में इससे संबंधित 17 पन्नों का एक विधेयक पेश किया, जो पारित हो गया है। इस विधेयक में सरकार ने मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव है। महाराष्ट्र में इस समुदाय की आबादी 33 प्रतिशत है। आइए जानते हैं कि कब से मराठा आरक्षण की मांग हो रही है और विधेयक में क्या-क्या प्रावधान हैं।
विधेयक में कितना आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव?
शिंदे सरकार ने अपने विधेयक में मराठा समाज को कुल 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है। विधेयक लागू होने के बाद मराठा समाज के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। हालांकि, इसे लागू करने में पेच फंस सकता है क्योंकि 2021 में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि ऐसे कोई असाधारण स्थिति नहीं दिखती, जिसके आधार पर मराठा को पिछड़ा मानते हुए उन्हें आरक्षण दिया जाए।
महाराष्ट्र में कब उठी मराठा आरक्षण की मांग?
मराठा आरक्षण की मांग करीब 4 दशक पुरानी है। 1980 में मंडल आयोग द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने सिफारश के बाद मराठा नेता अन्ना साहब पाटिल ने मराठा आरक्षण का आंदोलन शुरू किया था। तब आरक्षण की मांग जाति के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक मानदंडों के आधार पर की गई। हालांकि, बाद के आंदोलनों में नेता OBC कोटे के तहत मराठा आरक्षण की मांग करने लगे। कोर्ट ने मराठाओं को OBC मानने से इनकार किया है।
कब-कब महाराष्ट्र सरकार ने आरक्षण देने की कोशिश की?
2014 में पृथ्वीराज चव्हाण के नेतृत्व वाली तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने मराठाओं के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था। इसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने मराठाओं के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की। हालांकि, इसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया क्योंकि इसके बाद कुल आरक्षण 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा से अधिक हो रहा था। अब शिंदे सरकार इसकी तीसरी कोशिश कर रही है।
अभी महाराष्ट्र में क्या है आरक्षण की स्थिति?
अभी महाराष्ट्र में कुल 52 प्रतिशत आरक्षण लागू है। इसमें अनुसूचित जाति के 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के 7 प्रतिशत, अन्य जनजातियों के 11 प्रतिशत, OBC के 19 प्रतिशत के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक पिछड़े वर्ग का 2 प्रतिशत आरक्षण शामिल है। अगर इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का 10 प्रतिशत और जोड़ दें तो आंकड़ा 62 प्रतिशत हो जाता है। मराठाओं को OBC आरक्षण में ही 10 प्रतिशत कोटा दिया जाएगा।
क्यों सरकार लेकर आई है मराठा आरक्षण विधेयक?
इस साल 26 जनवरी से 'शिवबा' संगठन प्रमुख मनोज जारांगे पाटिले ने मराठा आरक्षण को लेकर एक बड़ा आंदोलन किया था। उन्होंने मराठाओं को OBC की श्रेणी में शामिल करने की मांग की थी। इसके बाद शिंदे सरकार ने उनकी सभी मांगे मानते हुए आंदोलन खत्म करवा दिया। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि राज्य में 2-2.5 करोड़ लोगों पर सर्वेक्षण किया गया, आरक्षण को लेकर एक रिपोर्ट बनाई गई है और कानून के मुताबिक मराठा आरक्षण दिया जाएगा।