शिवसेना मामला: सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे की नैतिक जीत, लेकिन एकनाथ शिंदे बने रहेंगे मुख्यमंत्री
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के खेमे के शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया है।
हालांकि, कोर्ट ने पूरे मामले में राज्यपाल की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहना राज्यपाल का सही कदम नहीं था।
कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते तो कोर्ट उनकी सरकार को बहाल कर सकती थी।
राज्यपाल
राज्यपाल की भूमिका पर कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट बुलाने के लिए कोई ठोस वजह नहीं थी।
कोर्ट ने कहा, "फ्लोर टेस्ट को किसी राजनीतिक पार्टी के अंदरूनी विवाद या मतभेद को हल करने के एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राज्यपाल ने विधायकों के एक गुट पर भरोसा कर यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव विधायकों का समर्थन खो चुके हैं।"
स्पीकर
कोर्ट ने स्पीकर के फैसले पर भी उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर द्वारा व्हिप की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर ने विश्वास मत प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान शिंदे खेमे के भारत गोगावाले को शिवसेना का चीफ व्हीप बनाया था, जो गैरकानूनी था।
कोर्ट ने कहा, "व्हिप राजनीतिक पार्टी द्वारा निर्धारित किया जाता है और संविधान की 10वीं अनुसूची में आता है। स्पीकर को राजनीतिक पार्टी द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी थी, न कि शिंदे गुट द्वारा नियुक्त व्हिप को।"
जानकारी
शिंदे सरकार के गठन में दखल देने से किया इनकार
राज्यपाल और स्पीकर के फैसले को गलत करार देने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे सरकार के गठन में दखल देने से इनकार कर दिया क्योंकि ठाकरे ने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। इसका मतलब शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
नबाम रेबिया
नबाम रेबिया मामले पर बड़ी पीठ करेगी सुनवाई
कोर्ट ने नबाम रेबिया मामले को विचार के लिए 7 जजों की पीठ के पास भेज दिया है।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में उठाए गए सवालों को बड़ी बेंच में भेजा जाना चाहिए क्योंकि इसमें और अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है।
बता दें कि इस मामले में कहा गया था कि अगर स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है तो वह विधायकों की अयोग्यता की अर्जी का निपटारा नहीं कर सकते।
चुनाव चिन्ह
किसके पास रहेगा शिवसेना का चुनाव चिन्ह?
सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को लेकर भी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव चिन्ह का फैसला चुनाव आयोग ही ले सकता है।
बता दें कि चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को सौंप दिया था। शिंदे गुट के लिए ये फैसला राहत भरा है और इस टिप्पणी से साफ है कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण शिंदे गुट के पास ही रहेगा।
मामला
क्या है मामला?
पिछले साल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के कई विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। इससे उद्धव की सरकार गिर गई थी और शिंदे गुट के विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।
बाद में शिवसेना पर अधिकार को लेकर मामला चुनाव आयोग पहुंच गया। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न 'धनुष-बाण' दे दिया था। इन सभी फैसलों के खिलाफ उद्धव सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।