पैंडोरा पेपर्सः सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी सहित कई अन्य की छिपी हुई संपत्ति का खुलासा
क्या है खबर?
पनामा पेपर्स के बाद अब पैंडोरा पेपर्स के नाम से लीक हुए दस्तावेज में 300 से अधिक भारतीयों की विदेशों में छिपी हुई संपत्ति का खुलासा हुआ है।
क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) के चेयरमैन अनिल अंबानी, बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ भी विदेशों में गुप्ता खातों में संपत्ति छिपाने वालों में शामिल है।
इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने इस सनसनीखेज 'पैंडोरा पेपर्स' का पर्दाफाश किया है।
जानकारी
'पैंडोरा पेपर्स' के खुलासा में 100 से अधिक अरबपति भी शामिल
'पैंडोरा पेपर्स' नाम से हुए इस खुलासे में सामने आया है कि विदेशों में संपत्ति छिपाने वालों में 100 से अधिक अरबपति, 30 से अधिक वैश्विक नेता, 300 सार्वजनिक अधिकारियों और कई अन्य शामिल हैं। इस खुलासे ने पूरी दुनिया को हिला दिया है।
जानकारी
आखिर क्या है 'पैंडोरा पेपर्स'?
'पैंडोरा पेपर्स' में 14 वैश्विक कॉर्पोरेट कंपनियों की लीक हुई 11.9 मीलियन यानी 1.19 करोड़ फाइलों के दस्तावेज हैं।
इन कंपनियों ने सिंगापुर, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे देशों के साथ-साथ पनामा, दुबई, मोनाको, स्विटजरलैंड और केमैन आइलैंड्स सहित "टैक्स हेवन" में 29,000 ऑफ-द-शेल्फ कंपनियों और निजी ट्रस्टों की स्थापना की थी।
लीक की गई फाइलें वैश्विक स्तर पर कई प्रतिष्ठित वर्गों के लोगों के गुप्त खातों और फर्मों को उजागर करती है।
उजागर
'पैंडोरा पेपर्स' में कौन-कौन हुए उजागर?
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, 'पैंडोरा पेपर्स' में भारतीय नागरिकता वाले लगभग 380 नाम शामिल हैं। विश्व स्तर की सूची में वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपतियों, राष्ट्राध्यक्षों, प्रधानमंत्रियों, मशहूर हस्तियों, अरबपतियों सहित विश्व के नेता शामिल हैं।
विशेष रूप से खुद को दिवालिया घोषित करने वाले अनिल अंबानी के पास जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और साइप्रस में 18 छिपी हुई कंपनियां हैं। इसी तरह नीरव मोदी की बहन ने भी एक ट्रस्ट फंड की स्थापना की है।
विवरण
संपत्ति छिपाने वालों में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सहयोगियों का नाम
'पैंडोरा पेपर्स' जॉर्डन के राजा, चेक प्रधान मंत्री, पूर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री टोनी ब्लेयर और यूक्रेन, केन्या, इक्वाडोर के राष्ट्रपतियों की भी छिपी हुई संपत्तियों को उजागर किया है।
सबसे बड़ी बात है कि इनमें से कुछ ने खुद को भ्रष्टाचार विरोधी के रूप में चित्रित किया था।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नाम तो इस सूची में नहीं हैं, लेकिन उनके कई करीबी सहयोगी इसमें शामिल हैं। पुतिन पर अमेरिका द्वारा गुप्त संपत्ति होने का संदेह है।
वैधता
क्या यह अवैध है?
हालांकि, विदेशों में संस्थाओं की स्थापना करना अपने आप में अवैध नहीं है। अक्सर इनकी स्थापना कर चोरी, धोखेबाजी और धन शोधन के लिए की जाती है।
कर चोरी के लिए ऐसी संस्थाओं की स्थापना से देश की सरकारों को अरबों के राजस्व का नुकसान होता है।
यह लीक धन प्रबंधकों के लिए घर, कानून फर्मों, कंपनी गठन एजेंटों और लेखाकारों की मदद करने में लंदन की भूमिका को भी उजागर करता है। इस खुलासे से हंगामा मचा हुआ है।
बयान
"कोरोना महामारी से उबरने के लिए किया जा सकता था छिपे हुए धन का इस्तेमाल"
ICIJ निदेशक जेरार्ड राइल ने कहा, "पैंडोरा पेपर्स व्यापक, समृद्ध और बहुत अधिक जानकारियां देने वाला है। यह वो पैसा है जो दुनिया के गुप्त खातों में छिपा हुआ है और इसका इस्तेमाल कोरोना महामारी के बाद बिगड़ी स्थिति से उबरने के लिए किया जा सकता है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम खो रहे हैं क्योंकि कुछ लोग हासिल कर रहे हैं। यह उतना ही सरल है। यह एक बहुत ही आसान लेन-देन जो, गुप्त खातों के जरिए हो रहा है।"
पृष्ठभूमि
पनामा और पैराडाइज लीक से कैसे की जा सकती है इसकी तुलना?
डेटा वॉल्यूम के संदर्भ में, पैंडोरा पेपर्स विदेशों में छिपी हुई फर्म और खातों का सबसे बड़ा खुलासा करता है। इसमें 2.94 टेराबाइट डाटा उपलब्ध है।
इसकी तुलना में 2016 में कानूनी फर्म मोसैक फोन्सेका से लीक हुए पनामा पेपर्स का डाटा महज 2.6 टेराबाइट ही था।
इसके एक साल बाद लीक हुए पैराडाइज पेपर्स का डाटा 1.4 टेराबाइट ही था। इस लीक में ज्यादातर डाटा विदेशों में पैसा जमा कराने वालों का ही था।
चिंता
क्या पिछले लीक के बाद से कुछ बदला है?
पेंडोरा पेपर्स इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे पिछले लीक ने अल्ट्रा-रिच को विदेशी संस्थाओं को बेहतर ढंग से स्थानांतरित करने और नया चेहरा दिखाने का मार्ग प्रसस्त किया।
उदाहरण के लिए, मोसैक फोंसेका के ग्राहक अन्य फर्मों में स्थानांतरित हो गए हैं।
एक ग्राहक ने कहा कि पनामा पेपर्स लीक के बाद लोग सतर्क हो गए थे। यहा कारण था कि सचिन तेंदुलकर ने उसके तीन महीने बाद ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी।