दिल्ली: ऐप पर दिखा रहा कोरोना संक्रमितों के लिए बेड उपलब्ध, अस्पताल बोले- खाली नहीं है
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में बेडों की उपलब्धता को लेकर दिल्ली सरकार और अस्पतालों के बयानों में विरोधाभास बढ़ता जा रहा है। दिल्ली सरकार के ऐप पर दिखाया जा रहा है कि अस्पतालों में कोराना वायरस मरीजों के लिए बेड उपलब्ध हैं, वहीं कई अस्पतालों का दावा है कि उनके यहां सारे बेड भर चुके हैं। इस बीच एक रिपोर्ट में मध्य जुलाई तक दिल्ली में 42,000 बेड की जरूरत पड़ने की बात सामने आई है।
दिल्ली में चिंताजनक है स्थिति
दिल्ली में पिछले कई दिनों से 1,000 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं और शनिवार तक 26,334 लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है। इनमें से 708 लोगों की मौत हुई है और हालिया दिनों में मौतों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बीते 10 दिनों में शहर में 400 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि शहर के कुछ इलाकों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
अस्पतालों से लौटाए जा रहे मरीज, बेड न मिलने की शिकायतें
इस बीच कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां किसी संक्रमित व्यक्ति के संबंधी ने अस्पतालों में बेड खाली न होने और टेस्ट न किए जाने की शिकायत की है। दिल्ली सरकार के 'दिल्ली कोरोना' ऐप पर बेड दिखाए जाने के बावजूद मरीजों को अस्पतालों में खाली बेड न मिलने की खबरें आई हैं और इसके कारण कुछ मरीजों को जान भी गंवानी पड़ी है। इससे संबंधित हमारी एक खास रिपोर्ट आप यहां टैप कर पढ़ सकते हैं।
केजरीवाल ने कहा था- कालाबाजारी कर रहे हैं अस्पताल
शनिवार को मामले में निजी अस्पतालों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कुछ निजी अस्पताल बेडों की कालाबाजारी कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा था, "किसी को बख्शा नहीं जाएगा, इस गुमान में मत रहना कि दूसरी पार्टी में बैठा कोई नेता बचा लेगा। सभी अस्पताल मालिकों से जवाब मांगा जा रहा है... मरीजों की जांच और इलाज करना अस्पतालों की जिम्मेदारी है।"
फोर्टिस अस्पताल ने कहा- हमारे सभी बेड भरे
अब NDTV से बात करते हुए निजी अस्पतालों ने अपने यहां बेड खाली न होने की बात कही है और दिल्ली सरकार के ऐप के आंकड़ों को गलत बताया है। फोर्टिस अस्पताल के प्रतिनिधि ने बताया कि कोरोना संक्रमितों के लिए संरक्षित किए गए सभी 32 बेड भर चुके हैं और अभी कोई खाली बेड नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि मरीज की जानकारी साझा करने पर वे बेड प्रदान करने की कोशिश कर सकते हैं।
मैक्स और होली फैमिली अस्पताल ने भी कही बेड खाली न होने की बात
इसी तरह दक्षिण दिल्ली के 'होली फैमिली अस्पताल' ने भी कहा कि ऐप पर उसके जिन 69 बेडों को खाली दिखाया जा रहा है, वे सभी भर चुके हैं। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा, "अभी कोई बेड उपलब्ध नहीं है। ऐप को अपडेट नहीं किया जा रहा है।" वहीं ऐप पर मैक्स अस्पताल में 200 बेड खाली दिखाए गए हैं, जबकि अस्पताल का कहना है कि उनके सभी 429 बेड भर चुके हैं।
राजीव गांधी सुपर स्पैशिलिटी अस्पताल में 270 बेड खाली
इसी तरह राजीव गांधी सुपर स्पैशिलिटी अस्पताल ने कहा कि ऐप पर दिखाए गए 302 बेड के मुकाबले उनके यहां 270 बेड खाली हैं। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उनके यहां केवल श्रमशक्ति की कमी है, जिसे ठीक किया जा रहा है।
AAP विधायक ने स्वीकार की आंकड़ों में अंतर की समस्या
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक राघव चड्ढा ने ऐप और अस्पतालों के आंकड़ों में अंतर की समस्या को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा, "ये मोबाइल ऐप अपनी तरह का पहला प्रयोग है और देश में हम एकमात्र ऐसी राज्य सरकार है जिसने इन आंकड़ों को सार्वजनिक किया है। इस ऐप को कुछ दिन पहले ही लॉन्च किया गया है। कुछ समस्याएं हैं और मुझे उम्मीद है कि अगले एक-दो दिन में इनसे निपट लिया जाएगा।"
मध्य जुलाई तक होगी 42,000 बेडों की जरूरत
इस बीच एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में मध्य जुलाई तक दिल्ली में 42,000 बेडों की जरूरत पड़ने की बात सामने आई है। ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार के सामने पेश की जा चुका है, हालांकि सरकार ने अभी इसे सार्वजनिक नहीं किया है। समिति के एक सदस्य ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को ये जानकारी दी है। बता दें कि दिल्ली में कोरोना वायरस के लिए 8,600 से अधिक बेड हैं जिनमें से 49 प्रतिशत भर चुके हैं।
मध्य जुलाई तक होगी 42,000 बेडों की जरूरत
इस बीच एक पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में मध्य जुलाई तक दिल्ली में 42,000 बेडों की जरूरत पड़ने की बात सामने आई है। ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार के सामने पेश की जा चुका है, हालांकि सरकार ने अभी इसे सार्वजनिक नहीं किया है। समिति के एक सदस्य ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को ये जानकारी दी है। बता दें कि दिल्ली में कोरोना वायरस के लिए 8,600 से अधिक बेड हैं जिनमें से 49 प्रतिशत भर चुके हैं।