पुलवामा आतंकी हमलाः पाकिस्तान से फोन कॉल सहित इन सवालों और संभावनाओं की जांच शुरू
पुलवामा हमले के बाद जांच एजेंसियों ने अपनी जांच शुरू कर दी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री (CFSL) की टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि इस हमले के लिए 10-15 किलो RDX इस्तेमाल किया गया था। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्यों पंपौर से अवंतिपुरा तक के 15 किमी लंबे इलाके को आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों पर कई हमलों के लिए इस्तेमाल किया है।
जांच एजेंसियों ने शुरू की जांच
जांच एजेंसियों ने शुक्रवार को श्रीनगर से लगभग 30 किलोमीटर दूर घटनास्थल का दौरा कर फोटो और वीडियो लिए। इसके अलावा फॉरेंसिक जांच के लिए कई सैंपल भी इकट्ठे किए गए। NIA ने CRPF काफिले में शामिल जवानों और जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारियों से भी बात की है। सूत्रों ने बताया कि हमले में इस्तेमाल हुए IED की जांच के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और नेशनल बम डाटा सेंटर (NBDC) की टीम भी जाएगी।
संदिग्ध फोन कॉल की भी होगी जांच
एजेंसियां हमले के समय इलाके में की गई संदिग्ध फोन कॉल्स की भी जांच कर रही है। जांच एजेंसियां हमले के वक्त सीमापार पाकिस्तान से फोन पर हुई बातचीत की आशंकाओं की भी पड़ताल कर रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमले में इस्तेमाल की गई कार के परखच्चे उड़ गए थे। ऐसे में उसकी पहचान नहीं हो सकी। जांच अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि हमले से एक दिन पहले लेथपोरा में ही कार में IED रखा गया था।
सुरक्षाबलों के लिए घातक बना ये इलाका
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के इस हिस्से पर पिछले कई सालों में सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया है। यह सब तब हो रहा है जब सुरक्षाबलों के काफिले के लिए रोड ओपनिंग पार्टी (ROP) और CRPF की तैनाती रहती है।
इस इलाके में पहले हुए हमले
इसी जगह पर 25 जून, 2016 को आतंकियों ने CRPF की एक बस को रोककर उस पर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में 8 जवान शहीद हुए थे और 20 से ज्यादा जख्मी हो गए थे। इस इलाके में ऐसी ही दूसरी घटना में 11 CRPF जवान घायल हुए थे। इससे पहले इसी रोड पर आतंकियों ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के काफिले पर गोलीबारी की थी। इसमें लगभग एक दर्जन जवान घायल हो गए थे।