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निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी, जानिए क्या है कारण

निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी, जानिए क्या है कारण

संपादन मुकुल तोमर
Jan 15, 2020
02:21 pm

क्या है खबर?

निर्भया गैंगरेप के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं होगी। दिल्ली सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि एक दोषी के राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने के कारण दोषियों को 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जाएगी। दोषी मुकेश सिंह ने मंगलवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दया याचिका भेजी थी। बता दें कि दिल्ली की एक कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी।

पृष्ठभूमि

कल सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी क्यूरेटिव पिटिशन

7 जनवरी को पटिलाया कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी करते हुए उनकी फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी। उन्हें सुबह सात बजे फांसी दी जानी है। इसके बाद दो दोषियों, अक्षय और पवन गुप्ता, ने सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया। विनय के वकील एपी सिंह ने क्यूरेटिव पिटिशन में अपराध के समय उनकी कम उम्र की दलील दी थी।

दया याचिका

मंगलवार शाम को मुकेश ने दायर की दया याचिका

इसके बाद मंगलवार शाम को मुकेश ने दया याचिका से संबंधित पत्र तिहाड़ जेल प्रशासन को सौंपा है। इसे दिल्ली सरकार और गृह मंत्रालय के जरिए राष्ट्रपति कोविंद को सौंपा जाना है। चूंकि दोषी ने राष्ट्रपति के पास आधिकारिक तौर पर याचिका दायर कर दी है, ऐसे में अब उन्हें 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकती। नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के 14 दिन बाद फांसी होती है।

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दलील

तिहाड़ जेल प्रशासन के वकील राहुल मेहरा ने दिया नियमों का हवाला

तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में पेश हुए वकील राहुल मेहरा ने कहा, "दोषियों को निश्चित तौर पर 22 जनवरी को फांसी नहीं दी सकती।" नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, "दया याचिका के खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जा सकती है क्योंकि हम नियमों से बंधे हुए है जो कहते हैं कि दया याचिका के बाद दोषियों को 14 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है।"

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अधिकार

राष्ट्रपति के पास सजा माफ करने का अधिकार

भारतीय संविधान की धारा-72 के अनुसार राष्ट्रपति को किसी भी अपराधी की मानवीयता के आधार पर सजा माफ करने या कम करने का अधिकार है। यह फैसला राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करता है। दया याचिका लगाने का अधिकार दोषियों को दिया जाता है। यह उन पर निर्भय करता है कि वो याचिका लगाते हैं या नहीं। राष्ट्रपति के याचिका खारिज करने के बाद दोषियों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है।

फिर याचिका

मुजरिम अक्षय और पवन भी लगा सकते हैं क्यूरेटिव पिटिशन

इस बीच पहले सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन नहीं दाखिल करने वाले दो दोषी, अक्षय और पवन, अब क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर सकते हैं। उनके वकील एपी सिंह ने ये जानकारी दी। उन्होंने जेल प्रशासन से दोनों मुजरिमों का 2012 से 2019 तक जेल में आचरण का विवरण मांगा है। विवरण के मिलने के साथ ही दोनों की ओर से भी याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने जेल प्रशासन से जल्द ही विवरण देने की मांग की है।

पूरा मामला

2012 में घटित हुआ निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड

करीब सात साल पहले 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में निर्भया से गैंगरेप हुआ था। आरोपियों की बर्बरता के कारण निर्भया की मौत हो गई थी। पुलिस ने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक नाबालिग अपनी सजा पूरी कर रिहा हो गया था और एक अन्य ने जेल में आत्महत्या कर ली थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चार अन्य मुजरिम पवन, विनय, मुकेश और अक्षय के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया था।

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