आधिकारिक काम के लिए सोशल मीडिया ऐप्स इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे सैन्य अधिकारी, एजवायजरी जारी
भारतीय सेना ने अपने महत्वपूर्ण पदों पर तैनात अधिकारियों के फेसबुक और व्हाट्सऐप समेत सभी सोशल मीडिया ऐप्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। सेना ने यह कदम अधिकारियों के फोन हैक होने और गुप्त सूचनाओं को लीक होने से बचाने के लिए उठाया है। इस संबंध में पिछले महीने एडवायजरी जारी की गई थी। व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी के मामले सामने आने के बाद सेना ने यह फैसला लिया था।
आधिकारिक कामों के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकेंगी सोशल मीडिया ऐप्स
सेना में किसी भी डिवीजन और ब्रिगेड के अधिकारी अब आधिकारिक काम के लिए व्हाट्सऐप का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। आर्मी की साइबर डिवीजन ने सोशल मीडिया ऐप्स को खतरा बताते हुए कहा था कि इनसे खुफिया जानकारियां चुराई जा सकती हैं, जिससे सैन्य अधिकारियों और उनके परिवारों को खतरों का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि सेना में सोशल मीडिया को लेकर 2016 से नीति लागू है, जिसका कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है।
वर्दी में फोटो पोस्ट नहीं करने के आदेश
एडवायजरी में सैन्य अधिकारियों और उनके परिवारों को वर्दी में तस्वीरें पोस्ट न करने और उनकी लोकेशन से फोटो अपलोड नहीं करने को कहा गया है। इससे सोशल मीडिया ऐप्स को संवेदनशील इलाकों की जानकारी मिल जाती है।
व्हाट्सऐप के जरिए हुई जासूसी ने बढ़ाई सेना की चिंता
पिछले महीने के अंत में व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी की खबरें आई थी। दुनियाभर के लगभग 1,400 लोगों के फोन में व्हाट्सऐप के जरिए पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल किया गया। इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के इस स्पाईवेयर की मदद से पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकील, नेताओं और सरकारी अधिकारियों की जासूसी की गई थी। खबरों के मुताबिक, भारत के लगभग 120 लोग इस जासूसी का शिकार हुए। इसके बाद सेना की चिंताएं बढ़ी थी।
जवानों को बनाया जाता है हनी ट्रैप का शिकार
आमतौर पर ऐसे मामले भी सामने आते हैं जब सेना के जवानों को सोशल मीडिया ऐप्स के जरिए हनी ट्रैप का निशाना बनाया जाता है। कई जवान पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के इस चक्कर में फंसकर कई खुफिया जानकारियां उनसे साझा कर देते हैं। दरअसल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसिया कई फर्जी नामों से अकाउंट बनाकर जवानों को फंसाने की कोशिश करती हैं। हनी ट्रैप में फंसकर सूचनाएं भेजने वाले कई जवान गिरफ्तार भी हो चुके हैं।