JNU हिंसा: जिस क्राइम ब्रांच के हिस्से जांच का जिम्मा, अच्छा नहीं है उसका ट्रैक रिकॉर्ड
क्या है खबर?
रविवार को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में नकाबपोश गुंडों के हमले की जांच का जिम्मा दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच को सौंपा गया है।
लेकिन छात्रों की हिंसा से संबंधित मामलों में क्राइम ब्रांच का ट्रैक रिकॉर्ड खराब रहा है।
क्राइम ब्रांच ने ही JNU छात्र नजीब अहमद के लापता होने और रामजस कॉलेज में हिंसक झड़प के मामलों की जांच की थी, लेकिन दोनों ही मामलों में वो दोषियों तक पहुंचने में नाकाम रही है।
जानकारी
तीनों मामलों में ABVP पर हिंसा का आरोप
सबसे दिलचस्प बात ये है कि JNU समेत इन तीनों मामलों में हिंसा करने का आरोप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) पर है जो सत्ता पर काबिज भाजपा के पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का छात्र संघ है।
नजीब अहमद मामला
क्या है नजीब अहमद के लापता होने का मामला?
JNU का छात्र नजीब अहमद अक्टूबर 2016 में अचानक से लापता हो गया था।
लापता होने से कुछ घंटे पहले ही उसकी ABVP समर्थकों के एक गुट से लड़ाई हुई थी और इसी कारण उसके गायब होने में ABVP का हाथ होने के आरोप लगे थे।
ABVP ने इन आरोपों को खारिज किया था।
दिसंबर में दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच को अपनी क्राइम ब्रांच के पास भेज दिया था।
जांच असफल
मामले को सुलझाने में नाकाम रही क्राइम ब्रांच SIT
लेकिन क्राइम ब्रांच का विशेष जांच दल (SIT) भी नजीब का पता लगाने में नाकाम रहा।
इसके बाद मई 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले को क्राइम ब्रांच से केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के पास ट्रांसफर कर दिया था।
हालांकि CBI को भी मामले में खास सफलता नहीं मिली और वो नजीब के गायब होने की गुत्थी को सुलझाने में नाकाम रही।
अक्टूबर 2018 में CBI कोर्ट में मामले की क्लोजर रिपोर्ट दायर की।
आरोप
क्राइम ब्रांच पर लगा अहम गवाह पर दबाव डालकर बयान लेने का आरोप
CBI की जांच भले ही असफल रही हो लेकिन इसमें क्राइम ब्रांच के एक अहम गवाह से जबरदस्ती बयान लेने की बात सामने आई थी।
CBI के अनुसार, एक ऑटो चालक जिसने घटना के दिन नजीब को जामिया मिलिया इस्लामिया छोड़ने का दावा किया था, उनसे CBI को बताया कि क्राइम ब्रांच ने उसे ऐसा बयान देने के लिए मजबूर किया था।
हालांकि दिल्ली पुलिस ने ऑटो चालक से जबरदस्ती बयान लेने के आरोपों को खारिज किया था।
रामजस कॉलेज
क्या है रामजस कॉलेज में हिंसा का मामला?
दूसरा बड़ा मामला जिसमें दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची, वो फरवरी 2017 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में हिंसा से जुड़ा है।
यहां एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें तब JNU के छात्र रहे उमर खालिद और शहला राशिद शामिल थे।
आरोपों के अनुसार, ABVP ने कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे छात्रों पर हमला करते हुए उन्हीं बुरी तरह से पीटा था।
असफलता
अभी तक एक भी आरोपी को नहीं पकड़ पाई है क्राइम ब्रांच
इस हिंसा में करीब 25 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे जिनमें पुलिस के आठ जवान भी शामिल थे।
दिल्ली पुलिस को हिंसा को रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करना पड़ा था।
छात्रों पर लाठीचार्ज के कारण मामला सुर्खियों में छा गया था और देशभर में इसकी आलोचना हुई थी।
इस मामले की जांच भी क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी जिसकी SIT अभी तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार करने में नाकाम रही है।
चार्जशीट
चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई है क्राइम ब्रांच SIT
यही नहीं क्राइम ब्रांच ने मामले में अभी तक एक भी चार्जशीट भी दाखिल नहीं की है।
दिल्ली पुलिस प्रवक्ता अनिल मित्तल ने बुधवार को बताया कि पुलिस जांच के अंतिम स्तर पर है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
उन्होंने कहा, "हमें कई छात्रों और चश्मदीदों के बयान इकट्ठे करने थे जो उस दिन वहां मौजूद थे। हमने CCTV और मोबाइल वीडियोज की भी फॉरेंसिक जांच की। हम जल्द ही चार्जशीट दाखिल करेंगे।"
व्यक्तिगत
JNU हिंसा मामले में भी अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं
ABVP और छात्रों की हिंसा से जुड़े मामलों में क्राइम ब्रांच के इस ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए JNU हिंसा के मामले में अभी तक एक भी नकाबपोश की गिरफ्तारी या पहचान नहीं होने में कुछ अप्रत्याशित नजर नहीं आता।