10,000 फुट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी हाइवे सुरंग 'अटल टनल' बनकर तैयार
10,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी हाइवे सुरंग 'अटल टनल' बनकर तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द इसका उद्घाटन कर सकते हैं। रोहतांग को लेह से जोड़ने वाली इस सुरंग को बनने में 10 साल का समय लगा है जो प्रस्तावित छह साल से काफी अधिक है। इस सुरंग की मदद से अब लद्दाख सर्दियों में भी देश से पूरी तरह से जुड़ा रहेगा जो पहले बर्फबारी के कारण संभव नहीं हो पाता था।
सुरंग बनाने पर आया लगभग 4,000 करोड़ रुपये का खर्च
रोहतांग से लेह जाने वाली अटल टनल को बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाया है और इसका निर्माण 28 जून, 2010 को शुरू हुआ था। लगभग नौ किलोमीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी इस सुरंग को बनाने में लगभग 4,000 करोड़ रुपये का खर्च आया है। ये सुरंग हिमाचल प्रदेश के मनाली को लेह से जोड़ने का काम भी करती है और इसकी वजह से इन दोनों जगहों की दूरी लगभग 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और चार घंटे बचेंगे।
सुरंग में मौजूद होंगी ये सुविधाएं
अटल टनल के अंदर एक बार में 3,000 कारें या 1,500 ट्रक एक साथ चल सकेंगे और वाहनों के चलने की अधिकतम रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। सुरंग में प्रत्येक 150 मीटर पर टेलीफोन, 500 मीटर पर आपातकालीन निकास और 2.2 किलोमीटर पर गुफानुमा मोड़ है। इसके अलावा हर 250 मीटर पर CCTV कैमरा, 60 मीटर पर अग्निरोधक उपकरण और एक किलोमीटर पर हवा की गुणवत्ता मापने वाले उपकरण भी मौजूद होंगे।
सुरंग पर बर्फबारी और हिमस्खलन का नहीं पड़ेगा कोई असर
अधिकारियों के अनुसार, सुरंग को बनाने में अत्याधुनिक ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मेथड का उपयोग किया गया है और टनल के भीतर का वेंटिलेशन सिस्टम ऑस्ट्रेलियाई तकनीक पर आधारित है। टनल के मुख्य इंजीनियर ब्रिगेडियर केपी पुरुषोथमन के मुताबिक, सुरंग के डिजाइन को इस तरह से बनाया गया है कि बर्फ और हिमस्खलन से इस पर कोई असर न पड़े। इस कारण ये सुरंग सर्दियों में भी बिना किसी रुकावट के काम करेगी और लद्दाख देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा रहेगा।
चीन के साथ तनाव के बीच सेना के लिए मददगार साबित होगी सुरंग
अटल टनल सामरिक नजरिए से भी भारत के लिए बेहद महत्व है और भारतीय सेना इसके जरिए अपना सामान और रसद सर्दियों में भी आसानी से लद्दाख पहुंचा सकेगी। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ मौजूदा तनाव को देखते हुए इसका महत्व और बढ़ गया है और इसकी मदद से भारतीय सेना जरूरत पड़ने पर अपने सैनिकों और हथियारों को तेजी और आसानी से LAC तक पहुंचा सकेगी।
बेहद मुश्किल था सुरंग का निर्माण, सर्दियों में माइनस 30 डिग्री पहुंच जाता था तापमान
पुरुषोथमन के अनुसार, सुरंग का निर्माण आसान नहीं था और कर्मचारियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, "सर्दियों में यहां काम करना काफी मुश्किल होता था और तापमान माइनस 30 डिग्री तक चला जाता था। रोहतांग पास की तरफ साल में सिर्फ पांच महीने ही काम हो पाता था।" उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पिछले महीने निर्माण कार्य का निरीक्षण करना था, लेकिन LAC पर तनाव के कारण ऐसा नहीं हो पाया।