LAC पर तनाव के बीच भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की मॉस्को में हुई बैठक
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव के बीच शुक्रवार को भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉस्को में चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे के साथ बैठक की। दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को पहुंचे हैं और फेंगे के राजनाथ से मुलाकात करने की इच्छा जताने के बाद ये बैठक हुई। LAC पर मई से जारी तनाव के बीच इस स्तर की यह पहली बैठक थी।
भारत ने की अप्रैल से पहले की यथास्थिति कायम करने की मांग
'हिंदुस्तान टाइम्स' के सूत्रों के अनुसार, ढाई घंटे चली इस बैठक का केंद्र LAC पर तनाव का समाधान ढूढ़ने पर रहा। सूत्रों के अनुसार, बैठक में भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर यथास्थिति बदलने के चीन के हालिया प्रयासों पर सख्त आपत्ति जताई और बातचीत के जरिए समाधान पर जोर दिया। भारत ने चीन से पूर्वी लद्दाख की सभी जगहों पर अप्रैल से पहले की यथास्थिति कायम करने की मांग भी की।
रक्षा सचिव और रूस में भारत के राजदूत भी रहे बैठक में शामिल
रक्षा सचिव अजय कुमार और रूस में भारत के राजदूत डीबी वेंकटेश वर्मा भी बैठक में हिस्सा लेने वाले भारतीय दल का हिस्सा रहे। मॉस्को के एक बड़े होटल में हुई यह बैठक भारतीय समयानुसार रात लगभग 9:30 शुरू हुई।
SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में बोले राजनाथ- शांति के लिए भरोसा और सहयोग जरूरी
इससे पहले SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में भी राजनाथ सिंह ने चीन को कड़ा संदेश दिया। चीनी रक्षा मंत्री की मौजूदगी में उन्होंने कहा था कि SCO के सदस्य देशों के इलाके में शांति और सुरक्षा के लिए भरोसे और सहयोग के वातावरण, गैर-आक्रामकता, अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानदंडों के प्रति सम्मान, एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता और मतभेदों का शांतिपूर्वक निपटारा अनिवार्य है। इसमें राजनाथ का इशारा चीन की तरफ था जो लड़ाई बढ़ाने पर आतुर है।
लगातार बातचीत के जरिए समाधान पर जोर दे रहा है भारत
गौरतलब है कि पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ताजा तनाव के बीच भारत लगातार लगातार बातचीत के जरिए विवाद का समाधान निकालने पर जोर दे रहा है। इससे पहले केंद्र सरकार और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कह चुके हैं कि दोनों देशों को कूटनीतिक माध्यमों और बातचीत के जरिए विवाद का समाधान निकालना चाहिए। वहीं सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी कह चुके हैं कि उन्हें बातचीत के जरिए मतभेद सुलझने का पूरा भरोसा है।
पूर्व लद्दाख में चरम पर है भारत और चीन के बीच तनाव
भारत और चीन के बीच मई की शुरूआत के बाद से ही पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव बना हुआ है। इस 29-30 अगस्त को ये तनाव तब अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया, जब चीनी सैनिकों ने पैंगोंग झील के किनारे पर भारतीय इलाके में घुसपैठ करने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों को पहले ही चीन के इन मंसूबों की भनक लग गई और उन्होंने चीनी सैनिकों से पहले ही चोटियों पर कब्जा कर लिया।
दोनों देशों ने एक-दूसरे की रेंज में तैनात किए टैंक
भारतीय सेना की इस शहमात से चीन बौखला गया है और उसके सैनिक कई बार इन चोटियों पर फिर से कब्जा करने की कोशिश कर चुके हैं। हालांकि भारतीय सैनिकों ने हर बार उन्हें दूर से ही वापस लौटा दिया है। चीन ने इलाके में अपने टैंक भी तैनात कर दिए हैं और इसके जबाव में भारत ने भी टैंक तैनात किए हैं। दोनों देशों के टैंक एक-दूसरे की रेंज में हैं और स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है।
अन्य जगहों पर क्या स्थिति है?
अन्य जगहों की बात करें तो चीन ने मई-जून में LAC पर जिन पांच जगहों पर अतिक्रमण और घुसपैठ की थी, उनमें से तीन- देपसांग, गोगरा और पैंगोंग झील के फिंगर्स एरिया- में चीनी सैनिक अभी भी बने हुए हैं। पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर स्थित फिंगर्स एरिया में चीनी सैनिक अभी भी फिंगर चार की चोटी पर बने हुए हैं, वहीं भारतीय सैनिकों पिछले तीन-चार दिन में इसके सामने वाली चोटियों पर आकर बैठ गए हैं।
अक्साई चिन में भी चीन ने जमा किए 50,000 सैनिक
इसके अलावा चीन ने अक्साई चिन में भी अपने तकरीबन 50,000 सैनिक जमा कर रखे हैं और इसके कारण उसके मंसूबों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। भारत को आशंका है कि चीन रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण काराकोरम पास पर कब्जा करने की कोशिश कर सकता है और इसी खतरे को देखते हुए उसने काराकोरम के पास दौलत बेग ओल्डी (DBO) में टी-90 मिसाइल टैंक तैनात किए हैं। LAC पर 35,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती भी की जा रही है।