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मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने संसद में व्यवधान पर चिंता व्यक्त की, कहा- बहस ही नही होती
CJI रमन्ना ने जताई संसद में कामकाज न होने पर चिंता

मुख्य न्यायाधीश रमन्ना ने संसद में व्यवधान पर चिंता व्यक्त की, कहा- बहस ही नही होती

Aug 15, 2021
12:56 pm

क्या है खबर?

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने आज संसद में अच्छे से बहस न होने पर चिंता व्यक्त की। संसद के कामकाज की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यहां कानूनों पर बहस ही नहीं होती, बल्कि व्यवधान पैदा करने पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि कानूनों पर कुछ स्पष्टता नहीं होती कि वे उनका मकसद किया है। उन्होंने कहा कि संसद में वकील और बुद्धिजीवी न होने के कारण ऐसा हो रहा है।

बयान

क्या बोले CJI रमन्ना?

सुप्रीम कोर्ट के स्वतंत्रता दिवस के एक कार्यक्रम में संसद के कामकाज की मौजूदा स्थिति पर खेद व्यक्त करते हुए CJI रमन्ना ने कहा कि सदनों में उचित तरीके से बहस ही नहीं होती है। उन्होंने कहा, "कानूनों पर कोई स्पष्टता नहीं होती। हमें पता ही नही चलता कि कानून का मकसद क्या है। ये जनता का नुकसान है। ऐसा सदनों में बुद्धिजीवी और वकील न होने के कारण है।"

पहले की स्थिति

वकील थे कई स्वतंत्रता सेनानी, रचनात्मक होती थीं बहसें- CJI

आजादी के दौर की बात करते हुए CJI रमन्ना ने कहा, "अगर हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को देखें तो उनमें से कई कानूनी बिरादरी से थे। पहली लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य वकीलों से भरे हुए थे... तब सदनों में बहस बहुत रचनात्मक होती थी। मैंने वित्तीय विधेयकों पर कई बहसें भी देखी हैं जिनमें बहुत रचनात्मक बिंदु उठाए गए... बहस के बाद हर किसी के पास उस कानून की स्पष्ट तस्वीर होती थी।"

अपील

CJI ने वकीलों से की समाज सेवा करने की अपील

CJI रमन्ना ने अपने संबोधन में वकीलों से समाज सेवा में योगदान देने की अपील भी की। उन्होंने कहा, "मैं वकीलों से कहना चाहता हूं, खुद को केवल कानूनी सेवा तक सीमित न रखें। समाज सेवा भी करें।" उन्होंने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर नीतियों और उपलब्धियों की समीक्षा करने को भी कहा। उन्होंने कहा, "75 साल कम नहीं होते। जब हम स्कूल जाते थे तो हमें एक छोटा झंडा और गुड़ देते थे।"

संसद की कार्यवाही

विपक्ष और सरकार के गतिरोध की भेंट चढ़ गया था मानसून सत्र

बता दें कि हाल ही में सरकार और विपक्ष के गतिरोध के कारण संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था और इसमें बहुत कम काम हो पाया था। विपक्ष सरकार से पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों जैसे मुद्दों पर बहस की मांग करता रहा और सरकार के इसके लिए तैयार न होने पर उसने दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा किया। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने कई बार मर्यादा भी तोड़ी और टेबल पर चढ़कर नारे लगाए।