
रेल भवन के सामने धरना मामले में कोर्ट ने किए केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय, जानें
क्या है खबर?
साल 2014 में रेल भवन के सामने धरना देने के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय किए हैं।
केजरीवाल के अलावा उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी (AAP) नेता राखी बिरला और सोमनाथ भारती के खिलाफ भी आरोप तय किए गए हैं।
इन सभी पर राष्ट्रीय राजधानी में निरोधात्मक आदेशों का उल्लंघन करने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने का आरोप है।
पूरा विवाद
खिड़की एक्सटेंशन विवाद से शुरू हुआ था मामला
जनवरी 2014 में दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री सोमनाथ भारती की दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से बहस हो गई थी।
ये बहस मालवीय नगर के खिड़की एक्सटेंशन में कथित वेश्यावृत्ति रैकेट को लेकर हुई थी।
भारत ने पुलिस को रात को इलाके के घरों में घुसकर आरोपियों को पकड़ने को कहा था।
पुलिस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और इसे लेकर सोमनाथ भारती से उनकी बहस हो गई।
ये मामला काफी चर्चा में रहा था।
धरना
पुलिसवालों के इस्तीफे की मांग के साथ धरने पर बैठे केजरीवाल
इसके बाद आरोपी पुलिसवालों पर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रेल भवन के सामने धरने पर बैठ गए थे।
दिल्ली पुलिस पर रिश्वत लेने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने तब कहा था कि किसी भी संवैधानिक संकट के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी।
उन्होंने धरना स्थल से ही सरकार चलाने की बात कही थी।
दरअसल, केजरीवाल की ये लड़ाई केंद्र सरकार से दिल्ली पुलिस का अधिकार हासिल करने को लेकर थी।
अन्य आरोपी
आशुतोष और संजय सिंह को किया गया बरी
मामले में केजरीवाल और सिसोदिया समेत 6 AAP नेताओं पर सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने और धारा 144 का उल्लंघन करने का केस दर्ज किया गया था, जिसमें आज आरोप तय किए गए।
कोर्ट ने AAP सांसद संजय सिंह और पूर्व AAP नेता आशुतोष को मामले में बरी कर दिया।
सुनवाई के दौरान आशुतोष और सोमनाथ खुद मौजूद रहे, जबकि केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह की ओर से वकील रिषिकेश कुमार पेश हुए।
राजनीति
केजरीवाल की शुरूआती राजनीति का केंद्र था धरना
बता दें कि अन्ना आंदोलन से अलग होकर राजनीतिक पार्टी बनाने वाले केजरीवाल ने राजनीति के शुरूआती दौर में अपना आंदोलनकारी रवैया जारी रखा था।
उन्होंने कई बार AAP नेता और फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना किया।
केंद्र सरकार के खिलाफ उनकी मुख्य लड़ाई दिल्ली पुलिस के अधिकार और पूर्ण राज्य के दर्जे को लेकर रही है। लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने पूर्ण राज्य का मुद्दा उठाया था।