एक साल तक हर महीने PM केयर्स फंड में 50,000 रुपये दान करेंगे CDS जनरल रावत
क्या है खबर?
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने अपनी मासिक आय में से 50,000 रुपये हर महीने 'PM केयर्स' फंड में देना शुरू कर दिया है।
समाचार एजेंसी ANI ने रविवार को इसकी जानकारी दी। एजेंसी ने बताया है कि अगले 12 महीनों तक यह रकम हर महीने उनके बैंक खाते से कटेगी और PM केयर्स फंड में जमा हो जाएगी।
इससे पहले मार्च में वे एक दिन की सैलरी भी इस फंड में जमा कर चुके हैं।
अनुरोध
मार्च में जनरल रावत ने किया था अनुरोध
ANI की रिपोर्ट में बताया गया है कि जनरल रावत ने मार्च महीने में संबंधित विभाग को पत्र लिखकर हर महीने अपने खाते से 50,000 रुपये PM केयर्स फंड में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था। इसके बाद अप्रैल से उनकी तरफ से 50,000 रुपये इस फंडे में जाने लगे।
इससे पहले जनरल रावत ने मार्च में सेना के जवानोें और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मिलकर अपनी एक दिन की सैलरी PM केयर्स फंड में दान दी थी।
दान
रक्षा मंत्री भी कर चुके हैं एक महीने की सैलरी दान
सूत्रों ने बताया कि जनरल रावत का इस फंड में दान करना दूसरे अधिकारियों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करेगा।
उनसे पहले मार्च में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपनी एक महीने की सैलरी इस फंड को दान में देने का ऐलान किया था।
नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के सदस्य और कोस्ट गार्ड के पूर्व प्रमुख राजेंद्र सिंह ने भी अपनी 30 प्रतिशत सैलरी इस फंड में देने का ऐलान किया है।
अन्य दान
अन्य विभाग और राज्य सरकारें भी कर चुकी हैं PM केयर्स में दान का ऐलान
इसके अलावा वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राजस्व विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से अनुरोध किया था कि वो अगले साल मार्च तक हर महीने अपने एक दिन की सैलरी PM केयर्स फंड में जमा करें ताकि कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में सरकार को मदद मिल सके।
कई राज्य सरकारों ने भी महामारी के खिलाफ लड़ाई में योगदान के लिए अपने कर्मचारियों की एक दिन की सैलरी काटी थी।
विवाद
अपारदर्शिता को लेकर विवादों में है PM केयर्स फंड
कोरोना वायरस महामारी के दौर में जनता से मदद लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PM केयर्स फंड का ऐलान किया था।
हालांकि इस फंड की पारदर्शिता को लेकर जमकर विवाद हुआ है। ये फंड न तो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के अंतर्गत आता है और न ही सूचना के अधिकार (RTI) के तहत इससे संबंधित जानकारी मांगी जा सकती हैं।
विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा था।