करगिल सालगिरह पर बोले सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, ज्यादा हिंसक होंगे भविष्य के युद्ध
भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि भविष्य में युद्ध और संघर्ष ज्यादा हिंसक और अप्रत्याशित होंगे। उन्होंने ये भी कहा कि तकनीक और साइबर दुनिया का इन संघर्षों में ज्यादा बड़ा रोल होगा। नई दिल्ली में करगिल युद्ध के 20 साल होने के मौके पर हुए एक सेमिनार में उन्होंने ये बातें कहीं। बता दें कि 1999 में 3 मई से 26 जुलाई के बीच करगिल युद्ध लड़ा गया था।
"साइबर और स्पेस क्षेत्र का रहेगा बड़ा रोल"
भविष्य के युद्धों और संघर्ष पर बात करते हुए जनरल रावत ने कहा, "सेना को बहुआयामी युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। नॉन-स्टेट ताकतों का उदय और तकनीक में लगातार बदलाव युद्ध की प्रकृति को बदल रहा है। जब युद्ध के मैदान ज्यादा प्रतियोगी हो जाएंगे तो साइबर और स्पेस क्षेत्र इसमें बड़ा रोल अदा करेंगे।" उन्होंने भारतीय सेना में भी इसी हिसाब से बदलाव की जरूरत बताई और कहा कि ये बदलाव हो भी रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक सेना में बदलाव का संकेत
जनरल रावत ने कहा, "स्पेस, साइबर और स्पेशल फॉर्सेज डिविजन की स्थापना उस परिवर्तन का संकेत देता है जो सैन्य बलों में हो रहा है।" उन्होंने कहा कि 2016 में उरी ब्रिगेड के मुख्यालय पर हमले के बाद सीमा पार की गई सर्जिकल स्ट्राइक और इस साल फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले के बाद की गई बालाकोट एयर स्ट्राइक केवल राजनीतिक-सैन्य संकल्प का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि इन बदलावों का भी एक और संकेत था।
हर नापाक हरकत का पाकिस्तान को मिलेगा करारा जवाब- जनरल रावत
सेमिनार के दौरान जनरल रावत ने पाकिस्तान को कोई भी नापाक हरकत न करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "छद्म युद्ध, राष्ट्र-पोषित आतंकवाद और घुसपैठ के जरिए पाकिस्तानी सेना बार-बार नापाक हरकतें करती है। भारतीय सेना हमारे क्षेत्र की रक्षा के लिए हर दम तैयार खड़ी है। इस पर कोई शक नहीं होना चाहिए कि ऐसी किसी भी नापाक हरकत का बेहद करारा जवाब दिया जाएगा।" कुछ दिन पहले भी वह पाकिस्तान को ऐसी ही चेतावनी दे चुके हैं।
पूर्व सेनाध्यक्ष ने करगिल युद्ध को खुफिया असफलता मानने से किया इनकार
समारोह के दौरान करगिल युद्ध के समय सेनाध्यक्ष रहे जनरल वीपी मलिक ने इसे खुफिया असफलता मानने से इनकार किया। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान के इस तरीके का अभियान चलाने के बारे में कोई खुफिया जानकारी या मूल्यांकन नहीं था, इसलिए लंबे समय तक यही माना जाता रहा कि करगिल की चोटियों पर मुजाहिदीनों ने कब्जा कर लिया है और इसी हिसाब से रणनीति भी बनाई गई थी।
"करगिल युद्ध के समय थी निगरानी उपकरणों की कमी"
जनरल मलिक ने आगे बताया, "हमारे पास निगरानी उपकरणों की कमी थी और हम सैन्य गश्तों पर निर्भर थे। सियाचिन के विपरीत करगिल-बटालिक सेक्टर के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं थी और यहां सर्दियों के कपड़े और विशेष उपकरण नहीं दिए जाते थे।"
मुशर्रफ ने रची थी करगिल युद्ध की साजिश
बता दें कि 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने करगिल इलाके की चोटियों पर कब्जा जमा लिया था। ये साजिश पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने रची थी और घुसपैठियों में पाकिस्तानी जवान भी शामिल थे। ऊंचाई पर मौजूद होने के कारण वो इस जंग में बेहतर स्तिथि में थे और नीचे मौजूद भारतीय सैनिकों पर सीधा निशाना लगा सकते थे। इसी कारण युद्ध में भारत के 527 सैनिक शहीद हुए थे।
भारतीय सेना ने दिखाया था अदम्य साहस
लेकिन भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 26 जुलाई को करगिल की आखिरी चोटी को भी पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ा लिया और इस दिन हर साल 'करगिल विजय दिवस' बनाया जाता है।