करगिल दिवस पर सेनाध्यक्ष की पाकिस्तान को चुनौती, दोबारा हिमाकत की तो भुगतना पड़ेगा ज्यादा खामियाजा
कारगिल दिवस के मौके पर पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि अगर उसने 1999 की तरह फिर से कोई नापाक हरकत करने की कोशिश की तो इस बार उसे इसका ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने देश को आश्वासन दिया कि सेना हर परिस्थिति में देश की सीमा और नागरिकों की रक्षा करती रहेगी। करगिल युद्ध 26 जुलाई को ही खत्म हुआ था और इसे भारत में करगिल दिवस के रूप में बनाया जाता है।
करगिल युद्ध स्मारक पर दी शहीदों को श्रद्धांजलि
जनरल रावत ने करगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के मौके पर द्रास में 'करगिल युद्ध स्माकर' पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पाकिस्तान के लिए उनके संदेश के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "ये एक दुर्घटना थी। आम तौर पर दुर्घटनाएं दोबारा नहीं होती हैं। अगली बार तुम्हें ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।" उन्होंने कहा कि सेना उसे मिलने वाले हर कार्य को पूरा करेगी चाहें वह कितना भी कठिन हो।
जनरल रावत ने किया करगिल से जुड़ी घटना को याद
करगिल युद्ध के समय को याद करते हुए जनरल रावत ने कहा, "मुझे तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान याद है जब उन्होंने कहा था कि भारतीय बलों को घुसपैठ को खत्म करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे बलों के कार्रवाई शुरू करने से पहले ही हमको विश्वास है कि जीत हमारी होगी। इसके बाद बलों ने उन्हें निराश नहीं किया।" उन्होंने बताया कि उस समय सेना के सामने कितने मुश्किल हालात थे।
"PoK और अक्साई चिन पर लेना है सरकार को फैसला"
जनरल रावत ने इस मौके पर कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन को वापस हासिल करने पर राजनीतिक नेतृत्व को फैसला करना है। उन्होंने कहा, "PoK और अक्साई चिन का जो हिस्सा हमारे नियंत्रण में नहीं है, उसको लेकर देश के राजनीतिक नेतृत्व को तय करना है कि उसे कैसे हासिल किया जाए। इसके लिए कूटनीतिक रास्ता अपनाना है या फिर कोई और रास्ता अपनाना है, ये सरकार को तय करना है।"
मुशर्रफ ने रची थी करगिल घुसपैठ की साजिश
बता दें कि 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों ने करगिल इलाके की चोटियों पर कब्जा जमा लिया था। ये साजिश पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने रची थी और घुसपैठियों में पाकिस्तानी जवान भी शामिल थे। ऊंचाई पर मौजूद होने के कारण वो इस जंग में बेहतर स्तिथि में थे और नीचे मौजूद भारतीय सैनिकों पर सीधा निशाना लगा सकते थे। इसी कारण युद्ध में भारत के 527 सैनिक शहीद हुए थे।
भारतीय सेना ने दिया अदम्य साहस का परिचय
भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 26 जुलाई को करगिल की आखिरी चोटी को भी पाकिस्तान के कब्जे से छुड़ा लिया और इस दिन हर साल 'करगिल विजय दिवस' बनाया जाता है।