कोरोना: WHO ने दक्षिण अफ्रीका में मिले स्ट्रेन को ओमिक्रॉन नाम दिया, 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' माना
क्या है खबर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को ओमिक्रॉन नाम दिया है और इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' माना है।
इसके बाद वेरिएंट के संभावित प्रसार को देखते हुए कई देशों ने यात्रा संबंधी प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।
शुक्रवार को सलाहकार समूह की बैठक के बाद WHO ने बताया कि शुरुआती सबूत दिखाते हैं कि इस वेरिएंट से दूसरे स्ट्रेनों की तुलना में दोबारा संक्रमण का खतरा अधिक है।
जानकारी
ओमिक्रॉन में हुई हैं 32 म्यूटेशन्स
दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना में पाए गए कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हुई हैं।
इसमें P681H और N679K जैसी म्यूटेशन भी हुई हैं जो अल्फा और गामा जैसे वेरिएंट में पाई जा चुकी हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक ही वेरिएंट में इतनी म्यूटेशन खतरे की घंटी है और यह वेरिएंट अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है।
बयान
WHO ने क्या कहा?
WHO की तकनीकी प्रमुख मारिया वेन खेर्खोव ने शुक्रवार को कहा कि ओमिक्रॉन में कुछ चिंताजनक प्रोपर्टीज देखी गई हैं, जिस कारण इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसमें कई म्यूटेशन्स हुई हैं और उनमें से कुछ में चिंताजनक गुण देखने को मिले हैं। इस वेरिएंट की संक्रामकता, गंभीरता और दूसरी चीजों को समझने के लिए दक्षिण अफ्रीका और कई दूसरे देशों में अध्ययन हो रहे हैं।
जानकारी
वेरिएंट ऑफ कंसर्न का मतलब क्या हुआ?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, वायरस के उस स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' माना जाता है, जो अधिक संक्रामक हो, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों और मौतों की संख्या बढ़े और जिसके खिलाफ मौजूदा वैक्सीन की प्रभावकारिता कम हो जाए।
इसे पाए जाने पर जनस्वास्थ्य के लिए अधिक से अधिक कदम उठाए जाने और टेस्टिंग को बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
इससे पहले डेल्टा को 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया गया था।
ओमिक्रॉन
क्या वैक्सीनें इसके खिलाफ प्रभावी होंगी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इसके अध्ययनों के नतीजे सामने आने में कई दिनों से लेकर हफ्तों का समय लग सकता है और जानकारी मिलते ही सदस्य देशों के साथ साझा की जाएगी।
संगठन ने इसके प्रसार का पता लगाने के लिए देशों को जीनोम सीक्वेंसिंग पर जोर देने की सलाह दी है।
साथ ही यह पता करने में भी कई हफ्ते लग सकते हैं कि इस नए वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीनें कितनी प्रभावी साबित होती हैं।
प्रसार
किन-किन देशों में ओमिक्रॉन के मामले सामने आए हैं?
सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाए गए ओमिक्रॉन वेरिएंट के इजरायल, बेल्जियम, बोत्सवाना और हांगकांग में भी मामले सामने आ चुके हैं।
WHO ने कहा कि उसे अब तक इस वेरिएंट की करीब 100 जिनोम सीक्वेसिंग प्राप्त हुई हैं और इससे संक्रमित पाए गए अधिकतर लोग पूरी तरह वैक्सीनेटेड थे।
इजरायल में इस वेरिएंट से संक्रमित पाए गए व्यक्ति को वैक्सीन की तीसरी खुराक भी लग चुकी थी। इसने वैज्ञानिकों की चिंता और बढ़ा दी है।
ऐहतियाती कदम
कई देशों ने यात्रा पर लगाई पाबंदियां
नया वेरिएंट सामने आने के बाद यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका समेत कई देशों ने दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, जाम्बिया, नामीबिया, लेसोथो, इस्वातिनी और जिम्बावे से आने वाले यात्रियों पर पाबंदी की घोषणा की है।
इसकी आलोचना करते हुए दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने कहा कि ओमिक्रॉन को लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया अनुचित है और वैश्विक नेता अंतरराष्ट्रीय समस्या से निपटने के लिए बलि के बकरे ढूंढ रहे हैं।
कोरोना वायरस
कैसे बनता है वायरस का नया स्ट्रेन?
वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है और ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया वेरिएंट कहा जाता है।
नए वेरिएंट के सामने आने के कई कारण होते हैं और उनमें से एक वायरस का लगातार फैलना होता है।
कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है और ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।