भारत में नाक द्वारा दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन के दूसरे-तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी
क्या है खबर?
भारत में कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे वैक्सीनेशन अभियान के बीच बड़ी खबर सामने आई है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भारत बायोटेक द्वारा तैयार की गई देश की पहली नाक के द्वारा दी जाने वाली (नेजल) वैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी दे दी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। इस वैक्सीन के निर्माण में बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट और बायोटेक्नोलॉजी उद्योग शोध सहायता परिषद (BIRAC) ने भी सहयोग दिया है।
जानकारी
क्या होती है नेजल या इंट्रानेजल वैक्सीन?
बता दें कि वर्तमान में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की जा रही अधिकर वैक्सीन इंजेक्शन (सिरिंज द्वारा मांसपेशियों के जरिए शरीर में पहुंचाना) के रूप में तैयार की जा रही है।
इसके उलट नेजल इंट्रानेजल वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। कोरोना के संक्रमण की शुरुआत भी नाक से होती है।
सेंट लुइस के वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययन में पाया गया है कि नेजल वैक्सीन शरीर में मजबूत इम्यूनिटी देती है।
ट्रायल
भारत बायोटेक ने पिछले महीने किया था पहले चरण का ट्रायल
बता दें कि 'कोवैक्सिन' तैयान करने वाली भारत बायोटेक ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ भागीदारी में BIRAC के सहयोग से इस नेजल वैक्सीन को विकसित किया था।
कंपनी ने जून में DCGI से इसके पहले चरण के ट्रायल की अनुमति मांगी थी, जिसे 20 जून को मंजूरी मिल गई थी।
इसके बाद कंपनी ने जुलाई में भुवनेश्वर, पुणे, नागपुर और हैदराबाद में 18 साल से अधिक उम्र के 30-45 वॉलेंटियरों पर इसका ट्रायल किया था।
जानकारी
पहले चरण के ट्रायल में प्रभावी रही है वैक्सीन
कंपनी ने पहले चरण के ट्रायल पर कहा कि वॉलेंटियरों को नाक के जरिए वैक्सीन लेने में कोई परेशानी नहीं हुई है और इसके कोई गंभीर दुष्परिणाम भी सामने नहीं आए हैं। इसी के साथ वैक्सीन वॉलेंटियरों में काफी हद तक प्रभावी साबित हुई है।
आवेदन
कंपनी ने किया था दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए आवेदन
इंडिया टुडे के अनुसार, पहले चरण के ट्रायल की सफलता के बाद कंपनी ने पिछले दिनों DCGI के समक्ष दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी के लिए आवेदन किया था। इसके बाद शुक्रवार को इसे ट्रायल की मंजूरी दे दी है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कहा कि भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को ट्रायल की मंजूरी मिल गई है। यह क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण से गुजरने वाली संभवत: पहली नेजल वैक्सीन होगी।
बयान
कोरोना के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है विभाग- डॉ रेणु
बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने नेजल वैक्सीन को दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिलने पर खुशी जताई है।
उन्होंने कहा, "विभाग मिशन कोरोना के खिलाफ सुरक्षा के माध्यम से सुरक्षित और प्रभावकारी कोरोना वैक्सीन के विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भारत बायोटेक की BBV154 कोरोना वैक्सीन देश में विकसित की गई पहली नेजल वैक्सीन है। इसे ट्रायल की मंजूरी मिलना बड़ी खुशी की बात है।"
फायदा
क्या इंजेक्शन की तुलना में बेहतर होगी नेजल वैक्सीन?
विशेषज्ञों के अनुसार नेजल वैक्सीन गेम चेंजर साबित हो सकती है। इंजेक्शन वैक्सीन से केवल शरीरी के निचले हिस्से में स्थित फेफड़ों की रक्षा होती है। ऐसे में नेजल वैक्सीन नाक से लेकर पूरे शरीर को सुरक्षा प्रदान करेगी और संक्रमण के बचाव के साथ उसके प्रसार को भी रोकेगी।
इसके अलावा जब वैक्सीन नाक के जरिए दी जाती है तो वह तेजी से लिम्फ नोड्स तक पहुंचती है और वायरस के खिलाफ तेजी से काम करती है।
बचत
सिरिंज की खपत को बचाएगी नेजल वैक्सीन
भारत बायोटेक के मुताबिक नेजल स्प्रे की सिर्फ चार बूंदों की जरूरत होगी। नाक के दोनों छेदों में दो-दो बूंदें डाली जाएंगी। इसके लिए अरबों रुपये की सिरिंजों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
इतना ही नहीं इसके लिए किसी ट्रेनर की भी जरूरत नहीं है। इसे लोग खुद भी ले सकते हैं।
भारत में वैक्सीन के दो खुराकों को हर नागरिक तक पहुंचाने में काफी वक्त लग सकता है, ऐसे में नेजल वैक्सीन गेम चेंजर साबित हो सकती है।