गलवान घाटी: चीन का झंडा फहराने का दावा, भारत ने कहा- विवादित क्षेत्र में नहीं फहराया
भारतीय सेना के सूत्रों ने चीन के गलवान घाटी के विवादित क्षेत्र में झंडा फहराने के दावों का खंडन किया है। सूत्रों ने NDTV से कहा कि जिस जगह पर झंडा फहराया गया, वो विवादित क्षेत्र में न होकर चीन की तरफ है। पिछले साल ही गलवान घाटी के इस विवादित क्षेत्र से दोनों देशों ने अपनी सेनाओं को पीछे हटाया था जिसकी सैटेलाइट तस्वीरों से भी पुष्टि हो चुकी है।
क्या है पूरा मामला?
1 जनवरी को चीनी सरकार के विशेषज्ञ शेन शीवेई ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए चीनी सेना के गलवान में चीनी झंडा फहराने का दावा किया था। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'नई साल 2022 के मौके पर गलवान घाटी में चीनी झंडा फहराया गया। ये राष्ट्री झंडा बहुत विशेष है क्योंकि ये कभी बीजिंग के तियानमेन चौक पर फहरता था।' वीडियो में चीनी सैनिकों को गलवान जैसी दिखने वाली जगह पर चीनी झंडे के साथ देखा जा सकता है।
देखें चीनी मीडिया द्वारा शेयर किया जा रहा वीडियो
भारतीय सेना ने कहा- नदी के मोड़ के पास नहीं, चीनी क्षेत्र में फहराया गया झंडा
भारतीय सेना के सूत्रों ने जिस जगह पर चीनी झंडा फहराया गया, वो दोनों देशों के बीच असैन्यीकृत क्षेत्र का उल्लंघन नहीं है। इसका मतलब ये झंडा गलवान में नदी के मोड़ के पास नहीं, बल्कि चीनी इलाके में फहराया गया। सूत्रों के अनुसार, विवादित इलाके से दोनों देशों के सैनिक पहले ही पीछे हट चुके हैं और नया वीडियो उस इलाके का नहीं है जहां पर डिसइंगेजमेंट हुआ था।
विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना
चीन की इस हरकत के बाद केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है और उसने सरकार से चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, 'गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!' वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मामले पर कहा, 'सरकार राष्ट्रवाद के बारे में बात करती है, लेकिन चीन को हमारे इलाके पर कब्जा करने दे रही है।'
गलवान घाटी में हुई झड़प में शहीद हुए थे 20 भारतीय जवान
बता दें कि गलवान घाटी ही वह जगह है जहां 15 जून, 2020 को चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। ये दोनों देशों के बीच पिछले 45 साल की सबसे घातक झड़प थी और इसमें चीन के भी दर्जनों सैनिक मारे गए थे। ये झड़प गलवान की नदी के किराने हुई थी और ज्यादातर सैनिक कम तापमान में नदी में गिरने के कारण शहीद हुए थे।